नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में एक बड़ा फैसला हुआ है। भारत सरकार की सभी प्रकार की नौकरियों के लिए केवल एक CET- कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट होगा। सार्वजनिक पात्रता परीक्षा का आयोजन राष्ट्रीय भर्ती संस्था (National Recruitment Agency) द्वारा किया जाएगा। इसका सबसे ज्यादा फायदा उम्मीदवारों को होगा क्योंकि उन्हें कई तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिसके लिए कई तरह की कोचिंग में बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है।
कैबिनेट ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी) को अधीनस्थ पदों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) आयोजित करने का अधिकार दे दिया गया है। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि आज नौकरी के लिए युवाओं को बहुत परीक्षाएं देनी पड़ती है। यह सब समाप्त करने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी अब कॉमन एलिजबिलिटी टेस्ट लेगी, जिससे युवाओं को फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 में सरकारी नौकरियों के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाने के प्रस्ताव की घोषणा की थी। यह कंप्टूयर बेस्ड ऑनलाइन परीक्षा होगी। हर जिले में इसके लिए एक सेंटर बनेगा।
कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) की मेरिट लिस्ट 3 साल तक मान्य रहेगी, जिसके दौरान उम्मीदवार अपनी योग्यता और पसंद के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
केंद्र सरकार के सचिव सी चंद्रमौली ने इस फैसले पर कहा कि केंद्र सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं। यद्यपि हम अब तक केवल तीन एजेंसियों के परीक्षाओं को सामान्य बना रहे हैं, लेकिन समय के साथ हम भविष्य में सभी भर्ती एजेंसियों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (Common Eligibility Test) कराएंगे।
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