गुरूवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया 5 लाख रूपये के ईनामी बदमाश को आखिरकार पुलिस ने उसके अंजाम तक पहुंचा ही दिया। लेकिन शुक्रवार अल सुबह हुए इस एनकाउंटर को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। विकास को यदि भागना ही होता तो वो सरेंडर क्यों करता? पुलिस की केवल वह ही गाड़ी क्यों पलटी खाई? विकास को हथकड़ी क्यों नहीं पहनाई गई थी? मीडिया वाहन जो पुलिस की गाडिय़ों के साथ चल रहे थे उन्हें क्यों रोका गया? आईये जानते हैं पुलिस की थ्यौरी जिन पर उठ रहे हैं सवाल....।
विकास दुबे एनकाउंटर में पहला सवाल यह है कि जिस गाड़ी में विकास बैठा हुआ था वह कैसे पलटी। यदि वाहन पलटने को एक दुर्घटना मान लिया जाए तो इस पर बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ में हथकड़ी क्यों नहीं लगाई गई थी? एक दिन पहले जिस तरह विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। विकास दुबे ने उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में पहुंचकर स्वयं अपना परिचय दिया था। इसके बाद अचानक पुलिस अमला हरकत में आया और उसे अपनी कस्टडी में लिया। यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो एक हाई सिक्यॉरिटी जोन में क्यों गया? यदि कल गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो आज उसने भागने की कोशिश क्यों की? वहीं गुरुवार को प्रभात और शुक्रवार को विकास दुबे का एनकाउंटर किया। इस पूरे घटनाक्रम को देखें तो यह सवाल जरूर मन में आता है कि क्या यह संयोग है? जिस तरह प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने एक घटनाक्रम बताया था कि पहले पुलिस की गाड़ी पंचर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और फिर एनकाउंटर में मारा गया। आज भी सब कुछ ठीक उसी तरह से हुआ है, यह सब शंका पैदा करता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस से अपराधी दो दिन में दो बार हथियार छीनने की कौशिश करते हैं। क्या पुलिसकर्मियों ने अपने हथियार रखने में लापरवाही बरती जो उनके गिरफ्त में मौजूद कोई बदमाश हथियार छीन लेता है।
मीडिया के वाहनों को क्यों रोका
विकास दुबे एनकाउंटर में सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसे मध्यप्रदेश से ले जाते समय कुछ इलेक्ट्रानिक मीडिया के वाहन भी पुलिस के काफिले के साथ चल रहे थे। उन्हें एनकाउंटर स्थल से कुछ दूरी पर रोक दिया गया था। मीडिया के वाहनों को रोके जाने का वीडियो भी मीडियाकर्मियों ने वायरल किया है। मीडियाकर्मियों ने दावा किया है कि वे भी उस काफिले के साथ ही उज्जैन से आ रहे थे, लेकिन दुर्घटना स्थल से कुछ पहले मीडिया और सड़क पर चल रही निजी वाहनों को रोक दिया गया था। एक बड़ी न्यूज एजेंसी ने भी इसका फुटेज जारी किया है। यदि विकास ने भागने की कोशिश की तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? इस तरह के और भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका अभी पुलिस को जवाब देना होगा।
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