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कपड़ों के साथ उज्ज्वल भविष्य की बुनाई में जुटी राधा

5 सालों में स्वरोजगार के साथ-साथ 25 अन्य लोगों को भी दिया रोजगार
उज्जैन। शहर के दमदमा में रहने वाली 36 वर्षीय राधा साहू को परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण 12वी कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई छोडऩा पड़ी थी। लेकिन राधा हमेशा से अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार और स्वयं का भविष्य उज्ज्वल करना चाहती थी। उच्च शिक्षा के बिना अच्छी नौकरी लगना नामुमकीन था, इसीलिये राधा ने स्वयं का व्यवसाय करने के बारे में सोचा। एक दिन समाचार-पत्र के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि शासन द्वारा स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत विभिन्न कोर्सेस में प्रशिक्षण अत्यन्त कम दरों पर उपलब्ध कराया जाता है।
इसके बाद राधा ने मक्सी रोड स्थित शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से सन 2014 में फैशन डिजाईनिंग का कोर्स किया था। कोर्स पूरा करने के बाद राधा ने स्वयं का बुटिक प्रारम्भ करने का निश्चय किया। इसके बाद राधा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बुटिक प्रारम्भ करने के बाद राधा ने पेम्पलेट्स और मौखिक प्रचार के माध्यम से शहर के रेडिमेड गारमेंट्स के व्यवसाईयों से सम्पर्क किया और उनसे ऑर्डर लेना प्रारम्भ किया।
राधा बताती हैं कि जब उन्होंने बुटिक शुरू किया था, तब उनके पास मात्र एक मशीन थी, वह भी किराये की। धीरे-धीरे शहर के कपड़ा बाजार में उनके काम को काफी सराहना मिलने लगी। उनका काम रफ्तार पकडऩे लगा। रेडिमेड कपड़ों के व्यापारी खुद उनके बुटिक में आकर रेडिमेड कपड़ों का ऑर्डर देने लगे। आज राधा के पास बुटिक में 25 अत्याधुनिक मशीनें हैं और उन्होंने स्वयं के साथ अन्य 25 लोगों को भी रोजगार दिया है। जो लोग उनके बुटिक से जुडऩा चाहते हैं उन्हें राधा और उनके समूह की अन्य महिलाएं काम की नि:शुल्क ट्रेनिंग भी देती हैं।
शहर की कई प्रतिष्ठित रेडिमेड कपड़ों के दुकानों से उनके द्वारा ऑर्डर लिये जाते हैं। इसमें लगने वाला रॉ मटेरियल भी व्यापारी ही उपलब्ध करवाते हैं। राधा बताती हैं कि ऐसा कोई भी ड्रेस मटेरियल नहीं है जो उनके बुटिक में तैयार न किया जाता हो, यहां महिलाओं और पुरूषों के हर आयुवर्ग तथा बच्चों के कपड़े जरूरत और आधुनिक फैशन को ध्यान में रखकर तैयार किये जाते हैं। राधा के बुटिक में पुरूषों के शर्ट, ट्राऊजर, जैकेट, सूट, शेरवानी, महिलाओं की साडिय़ां, सलवार सूट, कपड़ों के पर्स, लेदर के जैकेट, बच्चों के कपड़े, फ्रॉक आदि की सिलाई-बुनाई का काम किया जाता है।
बुटिक में सब लोगों के काम बंटे हुए हैं। कोई सिलाई करता है, कोई कटिंग करता है, कोई बटन टांकता है, कोई रनर और डोरी लगाता है तो कोई कपड़ों की फिनिशिंग करता है। वर्तमान में राधा को बुटिक से प्रतिमाह 30 से 35 हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है। राधा के अभिभावक दिलीपसिंह की देखरेख में बुटिक में समस्त कार्य किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि काम की अधिकता को देखते हुए उन्होंने सिलाई-बुनाई की अत्याधुनिक मशीनें इन्दौर से मंगाई हैं।
राधा के बुटिक में सूटिंग-शर्टिंग का कपड़ा और कपड़ों के पर्स में लगने वाले रॉ मटेरियल जैसे रनर, डोरियां आदि सामान गुजरात के सूरत और पंजाब से मंगाया जाता है। यहां आकर्षक कपड़ों के कैरीबेग भी बनाये जाते हैं, जिनमें ऊपर की तरफ अतिसुन्दर चित्र अंकित होते हैं। इनकी राजस्थान में बहुत मांग हो रही है। राधा बुटिक में कपड़ों के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य के सपने भी बुनने में लगी हैं। वे बुटिक को और वृहद स्तर पर संचालित करना चाहती हैं। शासन की ओर से चलाई जा रही विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं की बदौलत ही राधा आज इस मुकाम तक पहुंच सकी हैं। राधा ने न सिर्फ स्वयं का रोजगार स्थापित किया, बल्कि उनके बुटिक की बदौलत अन्य लोगों को भी रोजगार का अवसर मिला है। इसके लिये वे शासन और शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था की सदैव आभारी रहेंगी।

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