नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना लॉकडाउन के बाद से लगातार देश को संबोधित कर रहे थे। आज मंगलवार को एक बार फिर उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन किया। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश के 80 करोड़ लोगों को नवंबर महीने तक मुफ्त अनाज देने की घोषणा की। प्रधानमंत्री के संबोधन की यह है मुख्य बातें।
मैं आप सब से प्रार्थना करता हूं, आपके लिए भी प्रार्थना करता हूं, आपसे आग्रह भी करता हूं, आप सभी स्वस्थ रहिए, दो गज की दूरी का पालन करते रहिए, गमछा, फेस कवर, मास्क ये हमेशा उपयोग कीजिये, कोई लापरवाही मत बरतिए। अब पूरे भारत के लिए एक राशन-कार्ड की व्यवस्था भी हो रही है। यानि एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड। इसका सबसे बड़ा लाभ उन गरीब साथियों को मिलेगा, जो रोजग़ार या दूसरी आवश्यकताओं के लिए अपना गाँव छोड़कर के कहीं और जाते हैं। आज गरीब को, ज़रूरतमंद को, सरकार अगर मुफ्त अनाज दे पा रही है तो इसका श्रेय प्रमुख रूप से दो वर्गों को जाता है। पहला- हमारे देश के मेहनती किसान, हमारे अन्नदाता। दूसरा- हमारे देश के ईमानदार टैक्सपेयर।
सरकार द्वारा इन पांच महीनों के लिए 80 करोड़ से ज्यादा भाई बहनों को 5 किलो गेहूं या 5 किलो चावल मुफ्त दिया जाएगा। साथ ही हर परिवार को हर महीने 1 किलो चना भी मुफ्त दिया जाएगा। इस योजना के विस्तार में 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। 80 करोड़ लोगों को अब नवंबर तक मुफ्त अनाज दिया जाएगा। इसका श्रेय देश के मेहनती किसान और ईमानदार करदाताओं को जाता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार अब दीवाली और छठ पूजा तक, यानि नवंबर महीने के आखिर तक कर दिया जाए। हमारे यहां वर्षा ऋतु के दौरान और उसके बाद मुख्य तौर पर एग्रीकल्चर सेक्टर में ही ज्यादा काम होता है। अन्य दूसरे सेक्टरों में थोड़ी सुस्ती रहती है। जुलाई से धीरे-धीरे त्योहारों का भी माहौल बनने लगता है। त्योहारों का ये समय, जरूरतें भी बढ़ाता है, खर्चे भी बढ़ाता है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों के लिए पौने दो लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। बीते 3 महीनों में 20 करोड़ गरीब परिवारों के जनधन खातों में सीधे 31 हजार करोड़ रुपए जमा करवाए गए। 9 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपए जमा हुए हैं। आज मैं एक महत्वपूर्ण घोषणा करने जा रहा हूं। हमारे यहां वर्षा के दौरान कृषि के क्षेत्र में ही ज्यादा काम होता है। जुलाई से धीरे-धीरे त्यौहार का मौसम शुरू होने लगता है। कोरोना से लड़ते हुए लोगों को तीन महीने का राशन मुफ्त दिया गया। प्रत्येक परिवार को हर महीने एक किलो दाल भी मुफ्त दी गई। अमेरिकी की कुल जनसंख्या से तीन गुना अधिक लोगों को हमारी सरकार ने मुफ्ता अनाज दिया है। लॉकडाउन होते ही सरकार पौने दो लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज लेकर आई। लॉकडाउन के दौरान देश की सर्वोच्च प्राथमिकता रही कि ऐसी स्थिति न आए कि किसी गरीब के घर में चूल्हा न जले। केंद्र सरकार हो, राज्य सरकारें हों, सिविल सोसायटी के लोग हों, सभी ने पूरा प्रयास किया कि इतने बड़े देश में हमारा कोई गरीब भाई-बहन भूखा न सोए। पहले हम मास्क को लेकर, दो गज की दूरी को लेकर, 20 सेकेंड तक दिन में कई बार हाथ धोने को लेकर बहुत सतर्क थे। अब सरकारों को, स्थानीय निकाय की संस्थाओं को, देश के नागरिकों को, फिर से उसी तरह की सतर्कता दिखाने की जरूरत है। लॉकडाउन के दौरान लोगों ने गंभीरता से नियमों का पालन किया था। लेकिन अनलॉक में आते ही लापरवाही बढ़ती जा रही है। लोगों को सतर्कता बरतनी होगी। अगर कोरोना से होने वाली मृत्यु दर को देखें तो दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत संभली हुई स्थिति में है। समय पर किए गए लॉकडाउन और अन्य फैसलों ने भारत में लाखों लोगों का जीवन बचाया है। लेकिन जब से देश में अन लॉक वन हुआ है तब से लापरवाही कुछ बढ़ती जा रही है। कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ते-लड़ते अब हम अनलॉक-2 में प्रवेश कर रहे हैं। हम उस मौसम में भी प्रवेश कर रहे हैं, जब सर्दी, जुखाम, बुखार जैसी बीमारी होती है। मेरी सभी देशवासियों से प्रार्थना है कि अपना ध्यान रखिए। कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ते-लड़ते हम अनलॉक-2 में प्रवेश कर रहे हैं। साथ ही हम ऐसे मौसम में प्रवेश कर रहे हैं जब तबियत खराब हो जाती है।
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