उज्जैन 15 जुलाई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल ने बताया कि मानसून के प्रारंभ होने व मानसून के पश्चात मच्छरों की उत्पत्ति बड़ जाने के कारण मलेरियाजन्य परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं एवं डेंगू, मलेरिया का प्रसार अधिक होने लगता है। इसलिये डेंगू, मलेरिया से बचाव हेतु सावधानियां रखी जाना सभी को अत्यंत आवश्यक है। यह है मलेरिया के लक्षण- सर्दी व कंपन के साथ बुखार तेज बुखार, उल्टियां और सिरदर्द, पसीना आकर बुखार उतरना बुखार उतरने के बाद थकावट व कमजोरी होना। यदि बुखार हो तो क्या करें- बुखार आने पर तुरंत रक्त की जांच कराएं, मलेरिया की पृष्टि होने का पूरा उपचार लें, खाली पेट दवा कदापि न लें, मलेरिया हेतु खून की जांच व उपचार सुविधा समस्त शासकीय अस्पतालों पर नि:शुल्क उपलब्ध है। डेंगू मलेरिया फैलाने वाले मच्छर कहां पैदा होते हैं-छत पर रखी पानी की खुली टंकियां, टूटे बर्तन, मटके, कुल्हड, गमलों में एकत्र जल में, बेकार फैंके हुए टायरों में एकत्र जल में, बिना ढंके बतनों में एकत्र जल में, कूलर में एकत्र जल में, किचन गार्डन में रूका हुआ पानी, गमले, फूलदान, सजावट के लिए बने फव्वारे में एकत्र जल में। क्या करें- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, घर के आस-पास के गढ्डों को भर दे। पानी से भरा रहने वाले स्थानों पर टीमोफॉस, मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन ऑइल डालें, घर एवं आर-पास अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें, सप्ताह में एक बार अपने टीन, डिब्बा, बाल्टी इत्यादि का पानी खाली कर दें। दोबारा उपयोग होने पर उन्हें अच्छी तरह सुखायें, सप्ताह में एक बार अपने कूलर्स का पानी खाली कर दें, फिर सुखाकर ही उनका उपयोग करें, पानी के बर्तन आदि को ढक्कर रखें, हैण्डपंप के पास पानी एकत्र न होने दें।
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