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एक शिक्षक की सेवानिवृत्ति पर उमड़ा सारा गांव : नम आंखों से ग्रामीणजनों और विद्यार्थियों ने अपनी लाडली शिक्षक को बिदाई दी और मनुहार की "पाछे आजो मैडम जी...."

उज्जैन 01 अक्टूबर। एक शासकीय विद्यालय की शिक्षक की सेवानिवृत्ति पर सारा गांव ही उमड़ पड़े तो निश्चित ही मानना होगा कि उस शिक्षक ने अपनी मेहनत, लगन और अपने कर्त्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण से कार्य कर न सिर्फ विद्यालय की छात्र-छात्राओं के मन में बल्कि पूरे ग्रामीणजनों के दिल में सम्मान और श्रद्धा जगाई है। अपनी 31 वर्ष की सेवा पूर्ण कर गत 30 सितम्बर को शा.प्रा.विद्यालय गोठड़ा की सहायक शिक्षक श्रीमती ज्योतिबाला निगम सेवानिवृत्त हुईं। पिछले 24 वर्षों से विद्यालय में पदस्थ श्रीमती निगम ने इसी गांव की दो पीढियों को शिक्षा के अच्छे संस्कार देने के साथ ही ग्रामीण महिलाओं और उनके परिवारों को भी समय-समय पर सामाजिक शिक्षा और स्वस्थ जीवन की छोटी-छोटी बाते सिखा कर संस्कारित किया। यही कारण था कि उनकी सेवानिवृत्ति पर पूरा गांव ही विद्यालय भवन में उमड़ पड़ा। बिदाई समारोह में बड़ी संख्या में एकत्र हुए ग्रामीणजनों ने यह साबित कर दिया कि शिक्षक अकेले स्कूल का ही नहीं बल्कि पूरे गांव का शिक्षक होता है। 
कुछ वर्षों पूर्व के और आजकल के शासकीय विद्यालयों में सरकार के प्रयासों से व्यापक सुधार हुए हैं। इन्हीं सुधारों के चलते शासकीय स्कूलों के प्रति आम जनता का दृष्टिकोण बदला है और अधिकाधिक ग्रामीणजन अब अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरुक हुए हैं। त्रिवेणी के पास स्थित ग्राम गोठड़ा का शा.प्रा.विद्यालय भी इन्हीं में से एक है। 

सहकर्मी शिक्षकों और परिवारजनों के पारम्परिक उद्बोधनों से श्रीमती निगम का बिदाई समारोह प्रारंभ हुआ। किसी शिक्षक ने उनके व्यवहार की प्रशंसा की तो किसी ने श्रीमती निगम को उनके सेवाकाल में मिले जिला और राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मानों का जिक्र किया। किसी ने समय की पाबंदी को तो किसी ने उनके श्रेष्ठ शैक्षणिक कार्य को रेखांकित किया। विद्यार्थियों में अपनी शिक्षक की सेवानिवृत्ति को लेकर अलग ही भावनाएं थीं। स्कूल के जिस कक्ष में उन्हें मैडम जी ने पढ़ाया, वे उसी कक्ष को सजाने में लगे थे। रंग-बिरंगे गुब्बारों और हार-फूलों से बच्चों ने कक्ष को सजा रखा था। ढ़ोल-ढ़माके की गूंज के साथ बच्चे अपनी मैडम जी को कक्ष में लाये। दीपक और रोली-कुमकुम का थाल लिए ग्रामीण महिलाओं ने मैडम जी की आरती उतारी। पुष्पाहार पहनाकर, शाल-श्रीफल भेंट किया। मूँह मीठा कराया, चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। विद्यार्थियों में अपने शिक्षक के प्रति सम्मान व्यक्त करने की तो मानो होड़ ही मची थी। कोई पुष्पमाला अर्पित कर रहा था तो कोई चरण छू कर खुश हो रहा था। इतना प्यार और सम्मान पाकर शिक्षक श्रीमती ज्योतिबाला निगम भी अभिभूत थीं।

स्कूल का कक्ष सजाने से शुरु हुआ ये सिलसिला गांव में सम्मान यात्रा निकाल कर सम्पन्न हुआ। ग्रामीणजनों ने विद्यालय के बाहर डीजे का प्रबंध कर रखा था। विद्यालय भवन से शुरु हुई सम्मान यात्रा गांव के मुख्य मार्ग से होती हुई श्री राम दरबार मंदिर तक पहूँची। इस सम्मान यात्रा के दौरान गांव का एक भी घर ऐसा नहीं था, जिसकी छत से मैडम जी पर पुष्पवर्षा न की गई हो। सभी ग्रामीणजन, जिसमें वृद्धजन भी शामिल थे,  अपने शिक्षक के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त कर रहे थे। सम्मान यात्रा के समापन तक विद्यार्थियों और ग्रामीणजनों की आंखें नम हो गई थीं। उन्हें इस बात का एहसास था कि कल से मैडम जी स्कूल नहीं आयेंगी। नम आंखों से ग्रामीणजनों और विद्यार्थियों ने अपनी लाडली शिक्षक को बिदाई दी और मनुहार की "पाछे आजो मैडम जी...." 

बिदाई समारोह में विद्यालय परिवार से बीएसी उज्जैन ग्रामीण सुरेन्द्र पांचाल, जन शिक्षक सर्वश्री राजेश नन्दवाल, कन्हैयालाल सोलंकी, मनोज उपाध्याय, श्रीमती करुणा देशपाण्डे, श्रीमती चित्रा नायगांवकर, परिवार के सदस्य सर्वश्री विरेन्द्र कुमार निगम, संजय ललित, प्रवीण उपाध्याय, प्रकाश जोशी, गोपाल गुप्ता, बसंत चौहान, सुनील डाबर, श्रीमती ममता उपाध्याय, श्रीमती सरिता जोशी, श्रीमती शशी गुप्ता, छात्र-छात्राएं और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

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