1. मेष-
प्रथम नामाक्षर- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
ग्रह गोचर - इस वर्ष देवगुरु बृहस्पति लग्न में गोचर करेंगे जिनकी दृष्टि पंचम विद्या, बुद्धि, संतान भाव पर रहेगी। इस भाव के कारक स्वयं देव गुरु बृहस्पति ही हैं, जिनके प्रभाव से इस वर्ष संतान प्राप्ति की पूर्ण योग हैं, साथ ही संतान की अच्छी उन्नति भी होगी। शनि एकादशी भाव में रहेंगे जो अच्छे लाभ देंगे। राहु का गोचर द्वादश भाव में होने से अचानक ही रोग व्याधि, बड़े लाभ या हानि भी देंगे। षष्ठ रोग ऋण भाव में केतु सेहत और संगत में परिर्वतन करते हैं। ऋण लेन-देन में सावधानी बरतें।
1. व्यवसाय- नौकरी और व्यापार दोनों में इस वर्ष अच्छी उन्नति होगी। यश, लाभ, सम्मान प्रमोशन, प्रतिष्ठा के साथ नई ऊंचाइयां प्राप्त करेंगे। अप्रैल से सितंबर के बीच नया व्यापार व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। परीक्षा प्रतियोगिता में परिश्रम से श्रेष्ठ उपलब्धि प्राप्त होगी। प्रभावशाली व्यक्तियों का सहयोग मिलेगा, साथ ही वर्ष भर इच्छित परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।
2. आर्थिक पक्ष- इस वर्ष भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। आर्थिक रूप से संपन्नता बढ़ने के साथ ही बड़े लाभ प्राप्त होंगे। जमा पूंजी में वृद्धि होगी। नए निवेश सुविचार कर करें, अगस्त से दिसंबर के मध्य अन्य स्रोतों से धन आगमन होगा। भूमि भवन, वाहन क्रय करेंगे।
3. स्वास्थ्य- व्यक्तिगत स्वास्थ्य मिला जुला रहेगा। जनवरी से जून तक रोग विकार उदर रोग, हड्डी जोड़ों में तकलीफ, ब्लड प्रेशर, शुगर की आशंका है। जुलाई के बाद स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। वर्ष भर संतुलित आहार विहार, व्यायाम योग प्राणायाम रोग नियंत्रण में रखेंगे।
4. पारिवारिक स्थिति- इस वर्ष परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होंगे। परिवार में आपस में स्नेह प्रेम, में बढ़ोतरी होगी। माता-पिता पक्ष से लाभ होगा। संतान की उन्नति होगी। जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर, सहयोगात्मक रहेंगे। जून के बाद परिजन के आपस में असंतोष वैचारिक मतभेद रहेंगे। सामंजस्य बनाए रखें।
धार्मिक उपाय- भगवान गणपति और सूर्य देव की उपासना करें। राशि रत्न मूंगा सवा सात रत्ती से ऊपर मोती के साथ धारण करें। शुभ रत्न- मूंगा, ब्लड स्टोन (कारेंलियन)। शुभ रंग- लाल। शुभ दिन- मंगलवार। शुभ अंक- 9, जिन अंकों का जोड़ जैसे 9, 18, 36, 45, 54, 63। राशि स्वामी मंगल को प्रसन्न करें।
2. वृषभ- प्रथम नामाक्षर- ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे
ग्रह गोचर- इस वर्ष 1 मई से देव गुरु बृहस्पति लगन मे गोचर करेंगे। इससे पहले 31 अप्रैल तक द्वादश व्यय भाव में रहेंगे, जबकि केतु पंचम विद्या बुद्धि के भाव में राहु एकादश लाभ भाव में, शनि दशम भाव में गोचर करेंगे।
1. व्यवसाय- नौकरी व्यापार में संघर्ष एवं मेहनत अधिक करना पड़ेगी। वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिलता रहेगा। व्यावसायिक यात्राएं भी होती रहेंगी। परीक्षा प्रतियोगिता में परिश्रम के अनुसार सफलता मिलेंगी। 1 मई के बाद नए व्यापार या नौकरी में अच्छी सफलता मिलेगी।
2. आर्थिक पक्ष- इस वर्ष वर्ष शनिदेव की कृपा से उत्तम धन लाभ होकर आर्थिक स्तर पर मजबूत रहेंगे। कर्ज के लेनदेन में सावधानी बरतें। 1 जुलाई से पैतृक संपत्ति का लाभ होगा। नए भूमि भवन वाहन का क्रय करेंगे। अक्टूबर से दिसंबर तक अनेक स्रोतों से आय प्राप्त होगी।
3. स्वास्थ्य- प्रथम तिमाही में स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। उसके बाद में स्वास्थ्य में सुधार होगा। इस वर्ष स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेते रहें। उदर विकार, ब्लड प्रेशर, शुगर की समस्या हो सकती है। दैनिक आहार विहार के साथ दिनचर्या नियमित रखें। योग, प्राणायाम मेडिटेशन, व्यायाम आदि वर्ष भर करें।
4. परिवार- प्रथम छमाही में परिवार में मांगलिक कार्य, माता-पिता से मधुर संबंध एवं भाई बहनों से संबंध प्रगाढ़ रहेंगे। जीवनसाथी का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। साथ ही वैचारिक मतभेद भी बढ़ेंगे जो जून से अगस्त तक अशांति और बेचैनी बढ़ा देंगे। इस वर्ष परिवार और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। वर्ष भर मांगलिक कार्य भी होते रहेंगे।
धार्मिक उपाय- गौरी शंकर की पूजा करें। मंदिर या घर में ज्यादा से ज्यादा पौधा रोपण कर उनकी देखभाल करें। शुभ अंक- 6 और जिन अंक का जोड़ 6 आते हैं, जैसे 15, 24, 33, 42, 51। शुभ दिन - शुक्रवार। शुभ रंग- सफेद, हल्का नीला, जमुनी। शुभ रत्न- हीरा, ओपल। राशि स्वामी- शुक्र को प्रसन्न करें।
3. मिथुन- प्रथम नामाछर- का, की, कू, के, को, घ, ड, छ, हा
ग्रह गोचर- मुख्य रूप इस वर्ष चतुर्थ भाव में केतु, नवम भाव में शनि, दशम भाव में राहु, देव गुरु बृहस्पति 31 अप्रैल तक एकादश भाव में तथा 1 मई से द्वादश भाव में गोचर करेंगे।
1. व्यवसाय- इस वर्ष उतार-चढ़ाव बहुत रहेंगे। वर्ष की शुरुआत में सप्तम स्थान पर बृहस्पति की शुभ दृष्टि के प्रभाव से नौकरी व्यापार में अच्छी उन्नति होगी। एकादशी स्थान पर गुरु और शनि के संयुक्त गोचरीय प्रभाव से वरिष्ठ अधिकारी और सहकर्मियों से अच्छा सहयोग मिलेगा। परीक्षा प्रतियोगिता में प्रयास के अनुसार वांछित फल प्राप्त होंगे। नौकरी व्यवसाय में उन्नति के साथ ही प्रमोशन और लाभ होगा। नए भूमि भवन वाहन्य का क्रय करेंगे। सामाजिक ख्याति बढ़ेगी। 1 मई के बाद अनेक सफल धार्मिक और व्यापारिक यात्राएं होंगी।
2. आर्थिक स्थिति- शनि की तीसरी दृष्टि आय भाव में होने से अनेक स्रोतों से अच्छी आई होगी। साथ ही बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा। पुराने कर्ज से मुक्ति मिलेगी। नवंबर के बाद पुराना डूबा हुआ पैसा मिलेगा। एकादश भाव का गुरु 1 मई के पहले बढ़े आर्थिक लाभ देगा। मई के महीने से पूरे वर्ष अचानक अकारण व्यय होगा। इस वर्ष में पैतृक संपत्ति भी प्राप्त हो सकती है।
3. स्वास्थ्य- स्वास्थ्य उत्तम ही रहेगा। पुराने रोग विकार नियंत्रण में रहेंगे। जुलाई अगस्त के महीने में साधारण मौसमी और चर्म रोग हो सकते हैं।
4. परिवार- कार्यों में अति व्यस्तता के कारण प्रथम छमाही में परिवार पर कम ध्यान दे पाएंगे, परंतु द्वितीय छमाही में परिवार का भरपूर आनंद ले पाएंगे। परिवार में सुख शांति रहेगी। भाई-बहन का पूर्ण सहयोग एवं समर्थन प्राप्त होगा। गुरु की पंचम भाव पर दृष्टि होने के कारण संतान की उन्नति होगी। अप्रैल के बाद जीवनसाथी के स्वास्थ्य में समस्या आ सकती है। अन्य पुरुष या महिला मित्र के प्रति आकर्षण भी बढ़ सकता है।
धार्मिक उपाय- भगवान गणपति की आराधना और पौधारोपण अधिक करें। शुभ अंक- 5, 6, 14, 23। शुभ दिवस-बुधवार, गुरुवार, सोमवार। शुभ रंग- हरा, पीला, नारंगी। शुभ रत्न- पन्ना, पुखराज, आगेट। राशि स्वामी- बुध को प्रसन्न करें।
4. कर्क- प्रथम नामाक्षर- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
ग्रह गोचर- शनि की ढैय्या रहेगी। तृतीय भाव में केतु, अष्टम भाव में शनि, नवम भाव में राहु, देवगुरु बृहस्पति 31 अप्रैल तक दशम भाव में तथा 1 में से एकादशी भाव में गोचर करेंगे।
1. व्यवसाय- वर्ष की शुरुआत में देवगुरु बृहस्पति दशम भाव में रहकर कार्य क्षेत्र में उन्नति देंगे, किंतु अष्टम भाव में स्थित शनि के प्रभाव से अनेक अवरोध आएंगे। जीवन में बहुत कुछ सुखद घटित होगा। नौकरी / व्यापार में प्रमोशन, उत्तम लाभ, उच्चस्थ अधिकारी सहकर्मी से समर्थन और सहयोग प्राप्त होगा। धार्मिक और व्यापारिक यात्राएं लाभदायक होगी। मान सम्मान यश में वृद्धि होगी। अपने काम की गुणवत्ता से नई ऊंचाइयां मिलेंगी। मई महीने से शिक्षा प्रतियोगिता परीक्षा में आशा अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। प्रथम छमाही में गुरु की दृष्टि षष्ठ भाव में और दूसरी छमाई में पंचम स्थान पर रहने से वर्ष भर बौद्धिक स्तर बढ़ा हुआ रहेगा।
2. आर्थिक स्थिति- वित्तीय स्थिति इस वर्ष अच्छी रहेगी। आय तो बहुत अच्छी होगी परंतु व्यय भी बड़ा हुआ रहेगा। इस कारण आर्थिक स्थिति में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, अन्यथा कज़र् बढ़ जाएगा। 1 मई के बाद एकादश भाव के गुरु पुराना रुका हुआ धन और नौकरी में उन्नति देंगे।
3. स्वास्थ्य- इस वर्ष स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा। वाहन दुर्घटना, पुराने रोग विकार की वजह से आपरेशन भी संभव है। अष्टम भाव का शनि का गोचर मानसिक कष्ट, चिंता, देंगे। राहु की दृष्टि भी होने से भी शारीरिक कष्ट, ब्लड प्रेशर, शुगर, हड्डी जोड़, नस नाड़ियों में दर्द का ध्यान रखें। नियमित चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही संतुलित आहार-विहार योग, प्राणायाम, मेडिटेशन, व्यायाम करते रहे।
4. परिवार- माता-पिता के स्वास्थ्य में कमजोरी रहेगी। जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद बढ़ेंगे। पंचम स्थान पर गुरु की दृष्टि होने से संतान प्राप्ति के योग और विभागों के विवाह योग है। नए प्रेम संबंध हो सकते हैं। घर के निर्माण कार्य और साज सज्जा पर भी व्यय करेंगे।
धार्मिक उपाय- भगवान शंकर, शनिदेव हनुमान जी की आराधना करें। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक लगाएं चीटियों को शक्कर आटा खिलाएं। सार्वजनिक स्थल पर पीपल, बरगद का पेड़ लगाए। शुभ अंक - 2 या इसका जोड़ जैसे 11, 20, 29, 38, 47 तथा 7 और इसका जोड़ जैसे 16, 25, 34, 52, 61, 70। शुभ वार - सोमवार, गुरुवार। शुभ रंग - सफेद, पीला। शुभ रत्न - मोती, पुखराज। राशि स्वामी चंद्र को प्रसन्न करें।
5. सिंह- प्रथम नामाक्षर- मा,मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
ग्रह गोचर- द्वितीय भाव में केतु, सप्तम में शनि, अष्टम में राहु, देवगुरु बृहस्पति 31 अप्रैल तक नवम भाव में तथा 1 मई से दशम भाव में गोचर करेंगे।
1. व्यवसाय- शनि के सप्तम भाव में गोचर करने से नौकरी/व्यवसाय में उन्नति सम्मान मिलेगा किंतु किए गए प्रयास तथा उम्मीद से थोड़ा कम और विलंब से सब मिलेगा, इसलिए धैर्य, साहस विशवास बनाए रखेंगे तो सम्मान जीवन खुशनुमा और प्रभावशाली बनेगा। धार्मिक व्यवसायिक यात्रा मनोरंजन खुशियां बढ़ाने होंगी। 1 मई से वरिष्ठ अधिकारी सहकर्मी से अच्छा सहयोग समर्थन मिलेगा। परीक्षा प्रतियोगिता में मेहनत के अनुसार आशानुरूप सफ़लता मिलेगी।
2. आर्थिक स्थिति- उत्तम लाभ, धन संबंधित कार्यों में प्रगति, बुद्धिमानी से संचित कोष में वृद्धि करेंगे। इस वर्ष व्यय बहुत बढ़ा हुआ रहेगा। आर्थिक स्थिति में संतुलन आवश्यक है। पैतृक संपत्ति के कारण मन में चिंता रहेगी। 1 मई से चतुर्थ स्थान पर गुरु और शनि की संयुक्त दृष्टि भूमि भवन के सुख में वृद्धि करेंगे।
3. स्वास्थ्य- राहु के अष्टम भाव में गोचर करने से अचानक से चोट, घटना-दुर्घटना होगी। ब्लड प्रेशर, मानसिक तनाव परेशान करेगा। नियमित चिकित्सकीय परामर्श, सतर्कता और संतुलित आहार विहार, योग, प्राणायाम, मेडिटेशन, व्यायाम आवश्यक है।
4. परिवार- वर्ष के शुरुआती 3 महीने में कार्य की बहुतायत रहने से परिवार पर कम ध्यान देने से परिजन नाराज रहेंगे। घर की वृद्ध जन का स्वास्थ्य कमजोर होगा। पंचम स्थान पर गुरु की दृष्टि से संतान प्राप्ति या संतान की उन्नति होगी। जीवनसाथी से मतभेद के साथ वैचारिक भिन्नता बढ़ेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में समस्या आएगी। ससुराल पक्ष से असंतोष होगा।
आध्यात्मिक उपाय- भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा साथ ही यथाशक्ति दान करें। शुभ अंक- 1, 5, 9। शुभ दिवस- रविवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार। शुभ रंग- लाल, सुनेहरा पीला। शुभ रत्न - माणिक्य, पीला पुखराज सुनेहला। राशि स्वामी सूर्य को प्रसन्न करें।
6. कन्या- प्रथम नामाक्षर- टो, पा, पी, पू, त्र, ष, ण, ठा, पे, पो
ग्रह गोचर- लगे में केतु, षष्ठ भाव में शनि, सप्तम भाव में राहु देवगुरु बृहस्पति 31 अप्रैल तक अष्ट भाव में 1 मई से नवम भाव में गोचर करेंगे।
1. व्यवसाय- दैनिक जीवन राहु पूरे वर्ष सप्तम भाव में रहेंगे, इसलिए नौकरी व्यापार में विशेष सावधानी रखना आवश्यक है। बहुत उतार-चढ़ाव होंगे। शनि के षष्ठ भाव में होने से परिश्रम के बाद सफलता मिलेगी। वरिष्ठ अधिकारी एवं सहकर्मियों से संबंध अच्छे रखें, वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है। स्थानांतरण संभव है। जनवरी से जुलाई तक अकारण तनाव बढ़ेगा। 1 मई से राहत मिलेगी। धार्मिक व्यापारिक यात्राएं और मंगल कार्य भी होंगे। भूमि भवन का क्रय-विक्रय होगा।
2. आर्थिक स्थिति- आय-व्यय में संतुलन आवश्यक है क्योंकि इस वर्ष अकस्मात अवांछित व्यय अधिक होंगे। कर्ज लेने से बचें। वित्तीय लेनदेन में पूर्ण सावधानी रखें, कीमती सामान खो सकता है। 1 मई के बाद नौकरी व्यापार में प्रमोशन और रुका हुआ धन प्राप्त होगा।
3. स्वास्थ्य - स्वास्थ्य के प्रति सावधानी ज्यादा रखनी होंगी क्योंकि षष्ठ में शनि और अष्टम में गुरु होने दोनों ही भाव से पीड़ित हैं। शारीरिक मानसिक व्याधियां परेशान करेंगी। चर्म रोग आकस्मिक चोट दुर्घटना, नेत्र विकार, कमर और स्नायु तंत्र में दर्द के साथ ही कोलेस्ट्रॉल ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। नियमित चिकित्सकीय परामर्श के साथ नियंत्रित आहार विहार योग प्राणायाम मेडिटेशन व्यायाम अवश्य करें।
4. परिवार- माता-पिता से पूर्ण सहयोग मिलेगा। भाई बहनों के साथ भी संबंध मधुर रहेंगे। किसी अन्य के प्रति आकर्षण के कारण जीवनसाथी से मतभेद वैचारिक भिन्नता बढ़ेगी। संतान की उन्नति होगी। घर की साज सज्जा या निर्माण पर भी व्यय होगा।
धार्मिक उपाय- भगवान शंकर और शनिदेव की पूजा करना उत्तम रहेगा। मछलियों और चींटियों को आहार दें। शुभ अंक 5 और इसका जोड़ जैसे 14, 23, 41, 50, 59, 68। शुभ दिवस- बुधवार, शुक्रवार। शुभ रंग- हरा। शुभ रत्न- पन्ना, पेरीडॉट। राशि स्वामी- बुध को प्रसन्न करें।
7. तुला- प्रथम नामाक्षर- रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते
ग्रह गोचर - शनि पंचम विधा बुद्धि संतान के भाव में, षष्ठ रोग ऋण भाव में राहु, द्वादश व्यय के भाव में केतु, देव गुरु बृहस्पति 31 अप्रैल तक सप्तम जीवन साथी के भाव में तथा 1 मई से अष्टम आयु के भाव मे गोचर करेंगे।
दैनिक जीवन - शनि देव पंचम भाव में स्थित होकर द्वितीय, सप्तम, एकादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं, जिसके सुप्रभाव से अनेक शुभ प्रसंग होंगे। नौकरी व्यापार में बड़ी उपलब्धि प्रमोशन या नई जवाबदारी के रूप में प्राप्त होगी। अविवाहितों के लिए विवाह के योग हैं। विरोधी बनते हुए कार्यों में अड़चन डालेंगे। कार्य क्षेत्र में संघर्ष के बाद अच्छी सफलता मिलेगी। नया व्यापार या नौकरी भी कर सकते हैं। शासन से भी लाभ मिलेगा। व्यापारिक या धार्मिक यात्रा सफ़लता दायक रहेंगी।
2. आर्थिक स्थिति- एक से अधिक स्रोत से धन प्राप्ति अर्थात उत्तम धनागमन होगा बैंक बैलेंस में बढ़ोतरी होगी। पूर्व में निवेश का अच्छा लाभ मिलेगा।
3. स्वास्थ्य- प्रथम छमाही में स्वास्थ अच्छा रहेगा किंतु 1 मई के बाद अष्टम भाव में बृहस्पति षष्ठ भाव में राहु तथा पंचम भाव में स्थित शनि के कारण शारीरिक मानसिक कष्ट बढ़ेंगे। संतुलित आहार-विहार के साथ नियमित योग प्राणायाम मेडिटेशन व्यायाम रोग व्याधी कम करेंगे।
4. परिवार- घर के सभी लोगों का आपस में प्रेम तथा भाई बहन का सामंजस्य और स्नेह अच्छा रहेगा। पिता से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। जीवनसाथी का स्वास्थ कमज़ोर रहेगा। किसी तीसरे के कारण दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट बढ़ेगी। कुटुंब तथा सामाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
धार्मिक उपाय - गणेश जी के साथ माता पार्वती और शनिदेव की पूजा के साथ यथाशक्ति दान करें। शुभ अंक- 6 तथा इसका जोड़ जैसे 15, 24, 33, 42, 51, 60, 69, इसके अतिरिक्त 4, 5, 8 और इनके जोड़ भी शुभ हैं।
शुभ दिवस - शुक्रवार, बुधवार शनिवार। शुभ रंग - सफेद गुलाबी। शुभ रत्न - हीरा, ओपल। राशि स्वामी शुक्र को प्रसन्न करें।
8. वृश्चिक- प्रथम नामक्षर- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
ग्रह गोचर- चतुर्थ भाव में शनि, पंचम में राहु, देव गुरु बृहस्पति 31 अप्रैल तक षष्ठ भाव में तथा 1 मई से सप्तम भाव में एवं एकादश भाव में केतु गोचर करेंगे। शनि की ढैय्या रहेगी।
1. दैनिक व्यवसाय - वर्ष की शुरुआत बहुत अच्छी रहेगी। नौकरी/ व्यापार में उन्नति प्रमोशन, अविवाहितों के विवाह योग बन रहे हैं। नई योजना में सफलता मिलेगी। शत्रुओं पर विजय। 31 अप्रैल तक सर्वत्र लाभ, परीक्षा, प्रतियोगिता में मनोवांछित उपलब्धि, धार्मिक व्यापारिक यात्राएं लाभदायक रहेगी। स्थानांतरण भी संभव है। उच्च अधिकारी एवं सहकर्मियों के साथ मधुर वाणी का प्रयोग करें।
2. आर्थिक स्थिति- उत्तम धन लाभ एक से अधिक स्रोत से धन प्राप्ति, गुरु की दृष्टि धन भाव पर होने से बैंक बैलेंस में वृद्धि होगी। ससुराल या जीवन साथी से भी धन प्राप्ति संभव।
3. स्वास्थ्य - अप्रैल महीने तक षष्ठ रोग ऋण भाव के बृहस्पति तथा पूरे वर्ष पंचम भाव में स्थित राहु के करण शारीरिक मानसिक व्याधियां बढ़ी हुई रहेंगी। 1 मई के बाद स्वास्थ्य में सुधार होगा, फिर भी पूरे वर्ष संतुलित आहार-विहार के साथ योग प्राणायाम मेडिटेशन व्यायाम अवश्य करें, जिससे नींद, ब्लड प्रेशर आदि विकार में आराम रहेगा।
4. परिवार- कार्यों में अतिव्यस्तता के कारण परिवार पर ध्यान कम दे पाएंगे। इससे परिवार में असंतोष बढ़ेगा। भाई/ बहिनों के साथ कटुता के साथ वैचारिक मतभेद बढ़ेंगे। माता भूमि भवन के कारण चिंता और भय के संवेग परेशान करेंगे। जीवन साथी से प्रेम स्नेह मिलेगा, किंतु संतान पक्ष से असंतोष और चिंता प्राप्त होगी। नए प्रेम संबंध का आकर्षण रहेगा।
धार्मिक उपाय- भगवान महादेव, शनि देव की आराधना के साथ ही यथा शक्ति दान करें। गाय और चीटियों को भोजन देने के साथ ही सार्वजनिक स्थल पर पीपल, बरगद सहित अधिक से अधिक पौाधारोपण कर उनकी देखभाल की व्यवस्था करें।
शुभ अंक - 7, 9, 1 तथा 4। शुभ दिवस- मंगलवार, गुरुवार। शुभ रंग- लाल, पीला, नारंगी। शुभ रत्न- मूंगा, पुखराज। राशि स्वामी मंगल को प्रसन्न करें।
9. धनु- प्रथम नामाक्षर- ये, यो, भा, भी, भ, भू, धा, फा, फा, ढा, भे
ग्रह गोचर - तृतीय भाव में शनि, चतुर्थ में राहु, बृहस्पति 31 अप्रैल तक पंचम में 1 मई से षष्ठम भाव में तथा दशम भाव में केतु गोचर करेंगे।
1. दैनिक जीवन- धर्म कर्म में रुचि बढ़ी हुई रहेंगी। नौकरी व्यापार में उन्नति प्रमोशन होंगे। सफल व्यापारिक और धार्मिक यात्राएं होंगी। उच्च अधिकारी और सहकर्मियों का समर्थन मिलने से उच्चस्थ उपलब्धि प्राप्त होगी। परीक्षा प्रतियोगिता में मनोअनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। भौतिक सुख समृद्धि में भी वृद्धि होगी किंतु आलस्य, गुप्त शत्रु और लिखा पढ़ी दस्तावेजी करण में सावधानी रखें।
2. आर्थिक स्थिति- भाग्य का पूर्ण सहयोग मिलेगा। एक से अधिक स्रोत से धन प्राप्ति होने के साथ ही बैंक बैलेंस बढ़ेगा। अधिकांश आर्थिक निर्णय पक्ष में सही प्रमाणित होंगे। भूमि भवन वाहन क्रय करेंगे।
3. स्वास्थ्य- तृतीय भाव का शनि बड़े रोग विकार से बचाव करेंगे। धूम्रपान और नशा से दूरी बनाए रखें। 1 मई के बाद बृहस्पति के षष्ठ भाव में होने के कारण अचानक से ही ब्लड प्रेशर, शुगर, वात रोग विकार परेशान कर सकते हैं। संतुलित दिनचर्या के साथ ही आहार विहार समुचित रखने पर निरोगी रहेंगे।
4. परिवार- वाणी पर नियंत्रण रखें। वाणी की कटुता के कारण परिवार में असंतोष बढ़ेगा। धैर्य और संयम से परिजनों के साथ समय व्यतीत कर उनकी समस्या का समाधान करें। पंचम भाव में स्थित बृहस्पति संतान प्राप्ति या संतान की उन्नति कर संतान सुख में वृद्धि करेंगे। जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर और प्रोत्साहित करने वाला रहेगा। परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होंगे। नैतिक आचरण का पालन करें। आक्रामकता के स्थान पर धीरज और शांति से कुटुंब तथा सामाज में प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
धार्मिक उपाय- लक्ष्मी नारायण, हनुमान जी की पूजा करें। यथाशक्ति दान और सार्वजनिक स्थल पर पौधारोपण कर उनकी देखभाल करें। शुभ अंक- 4, और इसका जोड़ इसका जोड़, 3, तथा 8, और इनके जोड़। शुभ दिवस- गुरुवार, सोमवार। शुभ रंग-पीला, सफेद। शुभ रत्न- पुखराज, सुनेहला। राशि स्वामी बृहस्पति को प्रसन्न करें।
10. मकर- प्रथम नामाक्षर - भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
ग्रह गोचर- लग्नेश शनि द्वितीय धन भाव में तृतीय स्थान पर राहु, बृहस्पति 31 मार्च तक चतुर्थ भूमि भवन के भाव में तथा 1 मई से पंचम विद्या बुद्धि संतान के भाव में, केतु नवम धर्म भाग्य के भाव में गोचर करेंगे। शनि की साढ़े साती का तीसरा अंतिम चरण चलेगा।
1. व्यवसाय- लंबे समय से चली आ रही कठिन परिस्थितियां दूर हो जाएंगी। नौकरी व्यापार में उन्नति, प्रमोशन होंगे। उच्च अधिकारी सहकर्मियों के साथ संबंध प्रगाढ़ होने के साथ ही आत्मविश्वास बढ़ा रहेगा। जोखिमपूर्ण कार्य कर महत्वाकांक्षा पूरी कर सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचेंगे। अनेक विद्या और विषय का अध्ययन कर अंतरमन ज्ञान स्तर भी बढ़ेगा, इससे सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। परीक्षा-प्रतियोगिता में कठिन श्रम से उचित परिणाम मिलेंगे।
2. आर्थिक स्थिति- राशि स्वामी शनि लग्नेश स्वराशि के द्वितीय धन भाव में स्थित होकर एकादश लाभ भाव को देख रहे हैं। इससे एक से अधिक स्रोतों से धन आगमन होगा। स्थायी धन प्राप्त होने से बैंक बैलेंस बढ़ेगा, साथ ही भूमि भवन वाहन भौतिक सुख के अनेक साधन भी क्रय करेंगे।
3. स्वास्थ्य- सामान्यता सेहत ठीक रहेगी। बड़े रोग विकार से बचे रहेंगे परंतु नकारात्मक चिंतन, मोटापा ब्लड प्रेशर जैसे रोग हो सकते हैं। संतुलित आहार विहार दैनिक योग, प्राणायाम, मेडिटेशन व्यायाम नियमित करें।
4. परिवार- भाई बहन से असंतोष वैचारिक मतभेद बढें़गे। माता और मामा को रोग विकार होंगे। 31 अप्रैल तक बृहस्पति चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। इससे परिवार में खुशियां बढ़ेगी और मांगलिक कार्य संपन्न होंगे। 1 मई से पंचम भाव में बृहस्पति के गोचर से संतान प्राप्ति अथवा संतान को बड़ी उपलब्धि प्राप्त होगी। जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर रहेंगे। साथ ही जीवन साथी की उन्नति होगी।
धार्मिक उपाय- भगवान शंकर, शनिदेव की उपासना करें। श्वान, चींटियों और पक्षियों को भोजन सामग्री दें। यथाशक्ति जरूरतमंद को दान करें। शुभ अंक- 4 और इसका जोड़ जैसे 13, 22, 31, 40, 58, 67 तथा 8 और इसका जोड़ जैसे 17, 26, 35, 44, 62, 71, 80। शुभ दिवस - शनिवार, शुक्रवार, सोमवार। शुभ रंग - नीला, काला। शुभ रत्न- नीलम, जामुनिया। राशि स्वामी शनि को प्रसन्न करें।
11. कुंभ राशि- प्रथम नमाक्षर- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो
ग्रह गोचर- शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण रहेगा। लग्न में स्वराशि के शनि, द्वितीय धन कुटुम्ब भाव में राहु, बृहस्पति 31 मार्च तक तृतीय भाव में तथा 1 मई से चतुर्थ भाव में, केतु नवम भाव में गोचर करेंगे। शनि 11 फरवरी को कुंभ में ही अस्त होंगे, जो 18 मार्च को पुन: उदित होंगे और 29 जून को वक्री होंगे।
1. जीवन व्यवसाय- शनि लग्न में होने से कर्म प्रधान, कठोर अनुशासन प्रिय, सप्तम स्थान पर गुरु और शनि की संयुक्त दृष्टि कार्य क्षेत्र नौकरी व्यवसाय में मेहनत अनुसार अच्छा लाभ और उच्च अधिकारी एवं सहकर्मियों के साथ संबंध मधुर रहेंगे। उन्नति और प्रमोशन होगा, आत्मविश्वास बढ़ा हुआ रहेगा। वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है, कटु शब्द उच्चारण अनेक लोगों से संबंध खराब कर देंगे। गुप्त विरोधी नुकसान पहुंचाएंगे। नौकरी व्यापार में परिवर्तन करने से बचें। धार्मिक व्यापारिक यात्राएं लाभदायक रहेगी। परीक्षा प्रतियोगिता में अधिक प्रयास करने पर ही सफलता प्राप्त होगी।
2. आर्थिक स्थिति- 31 अप्रैल तक बृहस्पति तीसरे स्थान पर रहकर सप्तम भाव पर दृष्टि रखेंगे। इसके प्रभाव से आय के अच्छे साधन उपलब्ध होकर वित्तीय रूप से मजबूत रहेंगे। 1 मई के बाद चतुर्थ भाव के बृहस्पति पैतृक या पूर्व निवेशित संपति का लाभ देंगे। अष्टम भाव को देखने से अकस्मात अनापेक्षित अवांछित रूप से धन व्यय होगा। आय-व्यय का संतुलन आवश्यक है, अन्यथा कज़र्दार हो जाएंगे।
3. स्वास्थ्य- सेहत में उतार-चढ़ाव रहेगा, क्योंकि शनि की साढ़े साती के साथ ही दूसरे भाव में राहु और अष्टम भाव में केतु शरीर कष्ट, ब्लड प्रेशर, शुगर, पाइल्स, हड्डी जोड़ों, स्नायु तंत्र में दर्द, मानसिक तनाव आदि में बढ़ोतरी करता है। रोग विकार से बचाव के लिए संतुलित आहार-विहार के साथ ही नियमित दैनिक योग, प्राणायाम, मेडिटेशन व्यायाम आवश्यक है। नशा आदि व्यसन से दूर रहें।
4. परिवार- परिजन का आपस में स्नेह संबंध अच्छे रहेंगे। 1 मई के बाद देवगुरु बृहस्पति चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे, इससे परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम सौहार्द्र अधिक बढ़ जाएगा। घर में मांगलिक कार्य भी होंगे। अविवाहितों के विवाह प्रस्ताव आएंगे। दिसंबर में पिता को शारीरिक कष्ट रहेगा। जीवनसाथी से उपहार प्रेम निष्ठा मिलेगा, किंतु वैचारिक मतभेद भी रहेंगे। अनुशासन और वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है। संतान की उन्नति होगी। कौटुम्बिक सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। साथी और मित्रों से सावधानी रखें।
धार्मिक उपाय- भगवान शंकर और शनिदेव की पूजा करें। शनि की सामग्री का दान करें, यथाशक्ति जरूरतमंद को मदद करें, सार्वजनिक स्थान पर पौधारोपण कर उनकी देखभाल की व्यवस्था करें। मछली, चींटी और गाय को भोजन दें।
शुभ अंक- 8 और इसका जोड़ जैसे 17, 26, 35, 44, 53, 62, 71, 80। शुभ दिवस- शनिवार। शुभ रंग - नीला, कला। शुभ रत्न- नीलाम, जामुनिया। राशि स्वामी शनि को प्रसन्न करें।
12. मीन- प्रथम नामाक्षर- दी, दू, थ, झ, दे, दो, चा, ची दो
ग्रह गोचर- लगन में राहु, देवगुरु बृहस्पति 31 मार्च तक द्वितीय भाव, 1 मई से तृतीय भाव में, केतु सप्तम भाव में तथा शनि बारहवें भाव में गोचर करेंगे। इससे शनि की साढ़े साती का पहला चरण चलेगा।
1. व्यवसाय - नौकरी व्यापार में कठिनाई और संघर्ष के बाद सफ़लता मिलेगी। वाणी में प्रखरता, सत्यवादिता और अध्यात्म शक्ति बढ़ी हुई रहेगी। अनेक धार्मिक यात्राएं करेंगे। भूमि भवन वाहन का लाभ मिलेगा। धार्मिक सामाजिक कार्यों में भागीदारी बढ़ी हुई रहेगी। परीक्षा प्रतियोगिता में कड़े परिश्रम के बाद सफलता मिलेगी। 1 मई से वर्ष भर भाग्य का साथ मिलेगा। जनवरी से मार्च तक के महीने में परिश्रम के साथ लाभ, सम्मान अर्जित करेंगे, जबकि अक्टूबर से दिसंबर के बीच व्यावसायिक स्थल पर आरोप या झगड़ा नुकसान होगा। कीमती सामान खो सकता है।
2. आर्थिक स्थिति- वित्तीय व्यवस्था मिश्रित रहेगी। आय के साथ अनअपेक्षित अकस्मात व्यय बढ़ा हुआ रहेगा। 31 अप्रैल तक बृहस्पति के धन भाव में रहने से आय अच्छी होगी, जबकि 1 मई से बृहस्पति तीसरे भाव में गोचर करके सप्तम नवम और एकादश भाव को देखेंगे, जिससे एक से अधिक स्रोत से धन आगमन होगा। फरवरी से मार्च के महीने में अचानक पूर्व के निवेश या अनअपेक्षित धन लाभ होगा।
3. स्वास्थ्य- साढ़े साती और अन्य ग्रह गोचर के करण, रोग विकार अधिक रहेंगे। मानसिक चिंता, तनाव, ब्लड प्रेशर, शारीरिक रोग व्याधियां, चोट दुर्घटना, हड्डी जोड़ तथा स्नायु तंत्र में दर्द रहेगा। संतुलित आहार विहार के साथ नियमित दैनिक व्यायाम, योग प्राणायाम, मेडिटेशन से राहत मिलेगी।
4. परिवार घर के सदस्यों का आपस में सामंजस्य कम झगड़ा, क्लेश अधिक, जीवनसाथी से मधुर संबंध किंतु वैचारिक मतभेद, अविश्वास के कारण असंतोष, गुप्त चिंता रहेगी। संतान विद्रोह कर सकती है। पिता के स्वास्थ्य में कमी आएगी। लग्न के राहु और सप्तम भाव में केतु घनिष्ठ संबंधी के साथ मन मुटाव करेंगे। मित्र संबंधियों के साथ अच्छा व्यवहार रखें। धैर्य और सहनशीलता आवश्यक है। घर में धार्मिक और मंगल कार्य भी संपन्न होंगे। अविवाहितों के विवाह योग, नए प्रेम संभव है।
धार्मिक उपाय- लक्ष्मी नारायण और शनि देव की पूजा करें। यथाशक्ति धार्मिक स्थल पर दान करें। गौ सेवा और मछली को भोजन दें। शुभ अंक- 3 और इसका जोड़ जैसे 12, 21, 30 एवं 7। शुभ दिवस- गुरुवार, मंगलवार। शुभ रंग- पीला, लाल, गुलाबी। शुभ रत्न- पुखराज। राशि स्वामी बृहस्पति को प्रसन्न करें।
-ज्योतिषाचार्य पं.जगदीश प्रसाद शर्मा, उज्जैन मो. 9893398292
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