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भगवान को मजाक बनाना बंद करें, बदलाव लाएं - जया किशोरी

उज्जैन। गोवर्धन लीला अत्यंत रहस्यमय लीला थी। इसके बाद सबको समझ में आया कि भगवान कृष्ण कुछ अलग है। जब तक आप अपने भगवान की इज्जत नहीं करेंगे, तब तक कोई और नहीं करेगा। पहले आपको भगवान की इज्जत करना है। हम खुद भगवान की लीलाओं का मजाक उड़ाते हैं। अगर कोई और भी मजाक बनाता है तो हंसने वाले भी हम ही होते हैं। भगवान के ऊपर बन रहे मजाक पर हमें हंसना बंद करना होगा, तभी भगवान के मजाक बनना बंद हो जाएंगे।
यह बात हामूखेड़ी स्थित आरके ड्रीम्स में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन शुक्रवार को कथावाचक जया किशोरी ने कही। उन्होंने कहा कि दुकानदार का सामान बिकना बंद हो जाएगा तो वह दुकान में वह सामान रखना बंद कर देगा। बदलाव लाने के लिए आवश्यक नहीं कि हिंसा करें। कई मामलों में हिस्सा बनना बंद कर दीजिए। बदलाव अपने आप आ जाएगा। मनुष्य भी इतना गिर गया है कि जब सब सही चल रहा होता है तो भगवान का मजाक बनाता है, तकलीफ आने पर उसे ही याद करता है। जो आपके लिए सब कुछ कर रहा है, उसका मजाक मत बनाइए। श्रीराम हमें सिखाते हैं कि मर्यादा में रहते कैसे हैं और श्रीकृष्ण हमें सीखाते हैं कि मर्यादा में रखते कैसे हैं। इंसान बहुत खुश होता है तो नाचने लगता है। सबसे ज्यादा खुशियां भी भगवान के साथ ही मिलती है। सबसे ज्यादा आनंद भी भगवान के साथ मिलता है। जया किशोरी ने सबको संकल्प दिलाया कि कोई भी भगवान का मजाक न बनाएं। मजाक वही अच्छा जिसमें कहने वाला और सुनने वाला दोनों को अच्छा लगे। किसी को यदि तकलीफ हो रही है तो ऐसे मजाक तुरंत बंद कर देना चाहिए।
जब लड़का-लड़की तैयार हो, तभी विवाह कीजिए
जब हमारे यहां लड़की समझदार हो जाती है तो लोग कहते हैं कि इसकी शादी कर दो और जब लड़का बिगड़ जाता है तो लोग कहते हैं कि इसकी शादी कर दो। तो क्या जो अपना घर परिवार छोड़कर आ रही है, वह किसी को सुधारने आ रही है? यदि शादी के बाद भी लड़का नहीं सुधरा तो? ऐसे में लड़की की तो पूरी जिंदगी खराब हो जाती है। इसलिए ऐसे काम मत करिए। शादी एक बहुत बड़ा फैसला है। विवाह साधारण बात नहीं है। विवाह यानी एक व्यक्ति के साथ आगे के 50-60 साल एक कमरे में बिताना है। इसलिए इस तरह का फैसला सोच समझकर लेना चाहिए। जब दोनों तैयार हो, विवाह के योग्य हो, तभी उनका विवाह करिए। जो भी करना है भगवान को साथ रखकर। मेहनत करिए, ढेर सारा काम करिए। जो भी ग्रहण करना है अपनी मेहनत का ग्रहण करो। दूसरों का हिस्सा मारकर नहीं। जो ऐसा करता है, वह अपने जीवन में दरिद्रता लाता है। निस्वार्थ प्रेम दुनिया में सबसे ऊपर है। उससे ऊपर कुछ नहीं। भगवान निस्वार्थ प्रेम करते हैं। भगवान प्रेम तब करते हैं, जब आप भगवान की सभी परीक्षाओं में पास हो जाए। पहली परीक्षा है कठिन परिस्थितियां। जब भगवान को आपसे प्रेम हो जाता है तो भगवान आपको अपने जैसा बना देते हैं। जब आपको भगवान से प्रेम हो जाता है, तब आपके लिए कुछ और मायने नहीं रखता।
आरके ड्रीम्स के राकेश अग्रवाल ने बताया कि कथा वाचक जया किशोरी ने शुक्रवार को श्रीमद्भागवत कथा में रासलीला के दौरान कामदेव का प्रसंग, कंस वध, कृष्ण-सुदामा, कृष्ण-उद्धव, कृष्ण-रुक्मिणी विवाह कथा का प्रसंग सुनाया गया। शनिवार को कथा के विराम होगा।

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