नागदा। भज् कुंडलपुर में बधाई की नगरी में वीर जन्मे महावीरजी..... जैसे ही यह भजन गुन्जाए मान हुआ उपस्थित श्रद्धालू खुशी से झुम उठे। यह नजारा था पर्यूषण पर्व के छठे दिन रविवार दोपहर 1 बजे जैन कालोनी स्थित शांतिनाथ जैन मंदिर का। मौका था चातुर्मास हेतु विराजित साध्वीश्री मुक्तिदर्शना श्रीजी मसा की निश्रा में आयोजित महावीर जन्म वांचन महोत्सव का। इस मौके पर मंदिर परिसर में देर रात धार्मिक कार्यक्रम का दौर जारी था।
महोत्सव की शुरूआत सुबह 10 बजे साध्वीश्री के मंगलाचरण से हुई। इससे पूर्व श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष हेमंत कांकरिया एवं मीडिया प्रभारी डॉ. विपिन वागरेचा ने करवाया। महोत्सव में भगवान महावीर स्वामी की माता त्रिशला रानी ने गर्भावस्था मे जो 14 स्वपन देखे थे उनके चढ़ावे, पालनाजी का चढ़ावा, जन्म वांचन के बाद प्रथम आरती, वार्षिक अष्ठप्रकारी पूजन इत्यादि के चढ़ावे का आयोजन किया गया। करीब 3 घंटे तक चले कार्यक्रम को श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष सुनील वागरेचा, आशीष चौधरी, मुकेश बोहरा, सुरेश नाहटा, आयुष बोहरा, अभिषेक कोलन ने संगीतमय कर दिया। कार्यक्रम का संचालन मनोज वागरेचा एवं आभार मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष बृजेश बोहरा ने माना। जन्म वांचन महोत्सव के बाद मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ के स्वामीवात्सलय का आयोजन सत्कार भवन मे किया गया जिसका लाभ बोहरा एवं भारतीय परिवार ने लिया।
मीडिया प्रभारी डॉ. विपिन वागरेचा ने बताया कि चातुर्मास हेतु पाठशाला भवन में विराजित साध्वीश्री मुक्तिदर्शनाश्रीजी मसा की सुशिष्या नागदा नगर की नाती साध्वीश्री मल्लीदर्शनाश्रीजी मसा के 6 उपवास की तपस्या चल रही हैै। गौरतलब है कि साध्वीश्री मल्लीदर्शनाश्रीजी मसा ने तीन माह पूर्व उज्जैन दीक्षा अंगीकार की थी।
14 स्वपनाजी में सर्वाधिक चढ़ावा चौथे स्वपन लक्ष्मीजी का लगा जिसका लाभ विजयकुमार आदित्यकुमार मेहता परिवार ने, पालनाजी का लाभ सोहनबाई हस्तीमल कोठारी परिवार, अष्ठप्रकारी पूजन में सार्वधिक चढ़ावा केशर पूजन का लगा जिसका लाभ सोहनबाई विजयकुमार तांतेड परिवार, जन्म वांचन का पन्ना वैहराने का लाभ सुरेन्द्र कुमार शांतीलाल कोलन, मुनीम बनने व भगवान की आरती का लाभ कांतिलाल सौभाग्यमल गेलड़ा, मंगल दिपक का लाभ राजेन्द्र कुमार रूपेश गेलड़ा, गौतम स्वामी एवं पुण्यसम्राट की आरती का लाभ दाखाबाई शांतीलाल सकलेचा, गुरूदेव की आरती का लाभ राजेशकुमार भंवरलाल धाकड़, शांतिकलश का लाभ शांतिलाल इन्दरमल चौरडिया परिवार ने लिया।
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