अनुच्छेद 370 हटाने के उपरांत भी कश्मीरी हिन्दुओं की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया है । जिहादी आतंकियों पर ठोस कार्यवाही न होने से आतंकवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है । कश्मीर को यदि आतंकवाद से मुक्त करना हो, तो ‘ऑपरेशन ऑल क्लीन’ पूर्ण करना पडेगा । कश्मीरी हिन्दुओं के विस्थापित होने के लिए उत्तरदायी कौन ?, यह सुनिश्चित कर उन्हें दंडित करना होगा। ‘यूथ फॉर पनून काश्मीर’के राष्ट्रीय संयोजक राहुल कौल ने ऐसा स्पष्ट प्रतिपान किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘कश्मीर में आतंकवाद कब तक ?’ विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन विशेष संवाद’ में वे बोल रहे थे ।
श्री कौल ने आगे कहा कि, अनुच्छेद 370 हटाने के उपरांत आतंकवाद की बडी घटनाएं बंद हुईं, पत्थरबाजी बंद हुई; परंतु अभी भी हिन्दुओं को चुन-चुनकर मारा जा रहा है । इस पर सरकार ‘सॉफ्ट टेररिजम’ के होने की बात स्वीकार कर रही है । इसके कारण देश में अनुचित संदेश जा सकता है । सरकार की इस नीति के कारण अन्यत्र भी छोटे कश्मीर बनने का संकट बढ सकता है । कश्मीरी हिन्दुओं का कश्मीर में पुनर्वास करना पूरे देश से जिहादी आतंकवाद मिटाने जैसा है । 4 हजार कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर में पुनः नौकरियां दीं; परंतु वहां उनके प्राणों पर संकट होने से उन्होंने जम्मू में स्थानांतरण किया है तथा वे वही बसने की मांग कर रहे हैं। पिछले 8 महिनों से जम्मू के संक्रमण शिविरों में (Transit Camp) रह रहे ये हिन्दू बिना वेतन आंदोलन कर रहे हैं । कश्मीर में न रहने से उनका वेतन रोका गया है; तब भी जम्मू में आंदोलन कर रहे हिन्दू भाईयों को उनका लंबित वेतन मिले तथा उन्हें जम्मू में ही बसाया जाए ।
जब नरसंहार अस्वीकार किया जाता है, तब उसकी पुनरावृत्ति होती है !
सेक्युलरवादियों द्वारा जानबूझकर हिन्दुओं का नरसंहार हुआ ही नहीं है, अपितु उसमें मुसलमानों के भी मारे जाने की बात कहकर नरसंहार का दंश अल्प करने का प्रयास किया जा रहा है । वर्ष 1990 से कश्मीर में हिन्दुओं के नरसंहार की 22 बडी घटनाएं हुईं । 2019 से 22 हिन्दुओं को चुन-चुनकर मारा गया । कश्मीर से 5 लाख हिन्दू विस्थापित हुए हैं, यह भी ध्यान में रखना होगा । जब नरसंहार अस्वीकार किया जाता है, तब उसकी पुनरावृत्ति होती है । इसके लिए ‘कश्मीरी हिन्दू वंशविच्छेद (Genocide) विधेयक’ पूरे देश में लागू किया जाए, यह मांग भी इस समय श्री. कौल ने की ।
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