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सुमनभाई बने श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंदगिरि महाराज : पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन के आचार्य महामण्डलेश्वर ने कराया पट्टाभिषेक, बंगाली महिलाओं के शंखनाद के साथ निकली साधु संतों की शोभायात्रा

उज्जैन 15 जनवरी 2023।

श्री मौनतीर्थ पीठ के पीठाधीश्वर संतश्री डॉ. सुमनभाई रविवार मकर संक्रांति के पावन पर्व पर श्रीश्री १००८ महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरि जी महाराज बन गए। गंगाघाट स्थित आश्रम में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम में पंचायत अखाड़ा श्री निरंजनी के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंद जी महाराज ने महामण्डलेश्वर की विधि सम्पन्न करवाई। इस पावन अवसर पर सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख और उनके प्रतिनिधि विशेष रूप से उपस्थित थे। 

कार्यक्रम में उड़ीसा के महामहिम राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल जी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मालवा प्रांत के प्रचारक बलिराम पटेल, महापौर मुकेश टटवाल, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक रामलाल मालवीय, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, अनिल जैन कालूहेड़ा, पूर्व महापौर मदनलाल ललावत आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में बंगाली महिलाओं की शंखनाद किया। पश्चात निकली शोभायात्रा में भस्म रमैया भक्त मण्डली द्वारा डमरू और मंजिरा की धून से वातावरण धर्ममय कर दिया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवीन्द्र पुरी जी महाराज और पंचायत अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव रामरतनगिरि जी महाराज, आचार्य महामण्डलेश्वर कैलाशानंद जी महाराज के साथ श्रीश्री १००८ महामण्डलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरि जी महाराज शोभायात्रा के साथ मंच पर पहुंचे। यहां मंच पर सभी अखाड़ों के प्रमुख जिनमें श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की ओर से सचिव श्री महंत रामेश्वर गिरी महाराज,थानापति देव गिरी महाराज, थानापति महंत विद्या भारती महाराज, भारती महाराज अखाड़े की ओर से राष्ट्रीय महामंत्री महंत सत्य गिरी महाराज थानापति, गिरि महाराज, अग्नि अखाड़े की ओर से ब्रह्मचारी कृष्णानंद महाराज आनंद अखाड़े की ओर से महंत समुद्र गिरी महाराज महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत मुकुंद पुरी महाराज, दिगंबर अनी अखाड़े के श्री महंत रामचंद्र दास जी महाराज, निर्वाणी अनी अखाड़े के श्री महंत दिग्विजय दास महाराज, निर्मोही अखाड़े के महंत लाल दास महाराज सहित अटल अखाड़ा नया उदासीन अखाड़ा बड़ा उदासीन अखाड़ा और निर्मल अखाड़े की ओर से आए संतो व महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी माता सहित साथ वाल्मिकी धाम के बाल योगी उमेश नाथ जी महाराज ने चादर विधि की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद स्थानिय कार्यालय की ओर से गोविंद सोलंकी, राहुल कटारिया, संदीप बागड़ी ने चादर विधि की। चादर विधि के पश्चात सभी संतों ने पुष्पार्चन किया। इस दौरान करीब आधे घण्टे तक सुमनानंद गिरि पर गुलाब के पुष्पों की वर्षा की गई।

सात नदियों के जल से अभिषेक किया

अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर ने मंत्रोच्चार के साथ सात नदियों से लाए गए जल और दूध से नवनियुक्त महामण्डलेश्वर का अभिषेक किया। इस दौरान वेदाचार्यों ने वेदमंत्रों का गान किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में वेद बटुकों ने स्वस्तिवाचन किया। कार्यक्रम में उपस्थित संतों ने पुष्पों से भी अभिषेक किया।  

सामाजिक संस्थाओं ने किया अभिनंदन

महामण्डलेश्वर पट्टाभिषेक समारोह में उज्जैन के विभिन्न सामाजिक संगठन शामिल हुए। सभी ने महामण्डलेश्वर का स्वागत किया। इनमें मुख्य रूप से सिख समाज के प्रमुख सुरेन्द्रसिंह अरोरा, बोहरा समाज के कुतुब फातेमी, अग्रवाल समाज के सरोज अग्रवाल, श्याम माहेश्वरी, भगवानलाल शर्मा, रमेश दीक्षित, जियालाल शर्मा, दीपक राजवानी पत्रकार निरुक्त भार्गव आदि ने स्वागत किया। यूथ विद सनातन अभियान के सदस्यों अमित पुरोहित, राहुल पण्डया, दीपक जैन, आलोक नागर, भूषण धनोड़कर, रोहित व्यास, यशेष वशिष्ठ, अर्जुन पंडित, मनीष व्यास, मनोहर पाराशर, दीपक रावल, विवेक दुबे, गोयलजी, शुभम व्यास, त्रिभुवन शर्मा, कपिल कटारिया आदि ने अभिनंदन किया।

संन्यासी के कंधे पर ज्यादा बोझ होता है

पंचायत अखाड़ा श्री निरंजनी के श्रीश्री 1008 आचार्य मण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि संन्यासी के कंधे पर एक गृहस्थ से ज्यादा बोझ होता है। एक गृहस्थ को परिवार के 10  या 20 सदस्यों का बोझ रहता है। लेकिन एक संन्यासी और उसमें भी कोई अगर महामण्डलेश्वर हो जाए तो उनके कंधों पर सभी संन्यासी सांधु संतों का बोझ आ जाता है। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी देश का प्राचीन और बड़ा अखाड में जिसमें लाखों साधु संन्यासी हैं। जिनकी देखरेख, सेवा सुश्रुवा का बोझ हमारे कंधों पर रहता है। नवनियुक्त महामण्डलेश्वर श्रीश्री 1008 स्वामी सुमनानंद गिरि जी महाराज के हमारे परिवार में शामिल होने से हमारे इस संन्यासी परिवार में बड़ा ही हर्ष का माहौल है। संन्यासी के कर्म बताते हुए आचार्य महामण्डलेश्वर ने कहा कि एक सन्यासी का जीवन बिताने के लिए बहुत से नियमों का पालन करना होता है। परिवार का त्याग, एक समय भोजन करना, ब्रह्राचर्य का पालन करना, जमीन पर सोना, मांगकर भोजन करना, भीड़ भाड़ से अलग रहना जैसे तमाम तरह के कठिन कार्यो को करना पड़ता है। सन्यास की दीक्षा हर किसी को नहीं मिल पाती। नवनियुक्त महामण्डलेश्वर स्वामी सुमनानंद गिरि जी महाराज ने भी अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए इस संन्यासी जीवन को सफलता पूर्वक पार करवाने का आशीर्वाद मांगा।

भगवान्न जगन्नाथ का रथ का एक चक्र भेंट किया राज्यपाल ने

कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित उड़ीसा के महामहिम राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल जी ने कार्यक्रम के दौरान श्री मौनतीर्थ पीठ को भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के रथ के पहिया भेंट करने की घोषणा की है। जल्द ही यह रथ का पहिया श्री मौनतीर्थ पीठ पहुंचेगा, जिसे विधि विधान के साथ मौनतीर्थ परिसर में स्थापित किया जाएगा।

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