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करणी सेना ने शहर में रैली निकालकर किया प्रदर्शन : जानिए क्या है करणी सेना की मांग, रैली को लेकर पुलिस ने किये थे खासे इंतजाम

उज्जैन। 8 जनवरी भोपाल के जंबूरी मैदान में होने वाले जन आंदोलन के लिए सर्व समाज को आमंत्रित करने को लेकर मंगलवार को करनी सेना ने रैली का आयोजन किया गया। बताया जा रहा है की आर्थिक आधार पर आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के विरोध सहित अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर करणी सेना 8 जनवरी को भोपाल में बड़ा आंदोलन करने जा रहा है। 

उल्लेखनीय है की आगामी 8 जनवरी को भोपाल के जंबूरी मैदान में होने वाले जन आंदोलन से पहले करणी सेना ने एक बार फिर उज्जैन शहर में अपनी ताकत दिखाई है। दशहरा मैदान से निकलने वाली रैली को पहले प्रशासन ने इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद सशर्त रैली निकालने की अनुमति मिलने के बाद बड़ी संख्या में करणी सेना के कार्यकर्ता शहर में रैली लेकर निकले। सर्व समाज के हित में 21 सूत्रीय मांगों को लेकर होने वाले इस जन आंदोलन के आमंत्रण कार्यक्रम में रैली दशहरा मैदान से शहीद पार्क टावर चौक चामुंडा माता चौराहा होती हुई आगर नाका इंदिरा नगर से खाक चौक स्त्तिथ कृष्णा गार्डन में समाप्त हुई। यहां पर जीवन सिंह शेरपुर ने सभा को सम्बोधित किया।  जीवन सिंह ने कहा की करणी सेना परिवार किसी भी धर्म, जाति या समाज के विरोध में नहीं है यह केवल उनके पक्ष में हैं जो वास्तविकता में गरीब है एवं सरकार की वास्तविकता योजनाओं से वंचित है।

यह है करणी सेना की मांग 

करणी  सेना ने जो आज रैली आयोजित की थी उसमे उन्होंने अपना 21 सूत्रीय मांग भी बताई।  इसमें सबसे पहली है -आरक्षण का आधार आर्थिक किया जाए, जिससे समाज के हर वर्ग के गरीबों को आरक्षण का लाभ मिल सके। एक बार आरक्षण मिलने पर दोबारा आरक्षण का लाभ नहीं दिया जावे। दूसरी है  एससी-एसटी एक्ट में बगैर जाँच पड़ताल के होने वाली गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाये। तीसरी है ईडब्ल्यूएस आरक्षण में भूमि व मकान की बाध्यता समाप्त कर 8  लाख तक वार्षिक आय को आधार मानकर आरक्षण का लाभ दिया जावे। चौथी है सभी भर्तियों में ईडब्ल्यूएस के छात्रों को उम्र सीमा में छूट एवं छात्रवृत्ति भी प्रदान की जावे । पांचवी है वर्तमान में प्रक्रियाधीन शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में पहली काउंसलिंग के बाद शेष बचे हुए ईडब्ल्यूएस वर्ग के समस्त पदों को दुसरी काउंसलिंग या शिक्षा विभाग की वर्तमान नियोजन प्रक्रिया में समस्त पदों के साथ ईडब्ल्यूएस वर्ग के पात्र अभ्यर्थियों से भरा जाये।
छटवीं है प्राथमिक शिक्षक भर्ती वर्ग 3 के पदों में 51000 पदों पर न्यायसंगत रोस्टर के साथ भर्ती की जावे व माध्यमिक शिक्षक वर्ग 2 के वंचित विषयों जैसे मातृभाषा हिन्दी, सा. विज्ञान, विज्ञान के विषय में पदों में वृद्धि की जावे।
सातवीं है भर्ती कानून बनाकर प्रत्येक वर्ष नियमित भर्ती निकाली जाए, व्यापम के 1 लाख पदों एसआई, पटवारी, अन्य विभागों में शीघ्र भर्ती की जाए एवं भर्ती नहीं होने पर बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाए।
आठवीं है एमपीपीएससी की 2019-20 और 21 की भर्तियाँ संवैधानिक रूप से पूर्ण करो व ओबीसी आरक्षण मुद्दा हल किया जाये। 
नौवीं है केन्द्र और राज्य की आने वाले सभी भर्तियों में सभी वर्गों को 3 वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जावे।
दसवीं है राज्य सरकार द्वारा दी गई 3 वर्ष की छूट की समयावधि 1 वर्ष से बढ़ाकर 2 वर्ष की जावे।
ग्यारहवीं है अतिथि शिक्षकों, रोजगार सहायकों व कोरोना काल में सेवा देने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित नियुक्ति प्रदान की जावे।
बारहवीं है किसानों के हित में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का लागू किया जावे ताकि किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सके व रासायनिक खादों की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाया जावे।
तेरहवी है  प्रदेश के कई क्षेत्रों के किसान परेशान है इसमें निजात दिलाने के लिये उचित कार्य योजना बनायी जावे।
चौदहवी है  रोजमर्रा की वस्तुओं को GST से मुक्त किया जावे तथा बढ़ती महंगाई पर लगाम लगायी जावे।
पंद्रहवी है  क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास में छेड़छाड़ को तुरन्त रोका जावे, इतिहास संरक्षण समिति बने ताकि समाज में आपसी सामंजस्य बना रहे।
सोलहवीं है सवर्ण आयोग की कार्यप्रणाली में सुधारकर उसे क्रियाशील बनाया जावे।
सत्रहवीं है किसी भी परिस्थिति में अब कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु नहीं बढ़ाई जावे।
अट्ठारहवीं है गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जावे व सरकार गौशालाओं के स्तर में सुधार करें एवं गोबर व गौमूत्र को सरकारी स्तर पर खरीदने की व्यवस्था करें ताकि गौ-पालन से रोजगार के अवसर भी बढ़े।
उन्नीसवीं है पद्मावत फिल्म के विरोध में दर्ज प्रकरण वापस लिये जावे। 
बीसवीं है कर्मचारियों को दी जा रही पदोन्नति के साथ उन्हें उसके साथ अधिकार व सुविधा भी दी जावे। 
इक्कीसवी है सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार कर शिक्षा का स्तर प्रायवेट स्कूलों की भाँति किया जाय ताकि छात्र प्रायवेट स्कूलों की तरफ ना भागे व प्रायवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण रखने हेतु एक कमेटी बनाई जावे।

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