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दिल्ली में उत्तर भारत हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन : जानिए आखिर क्यों चाहिए हिन्दू राष्ट्र ?

आज पूरे विश्व पटल पर हिन्दुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है, जो सनातन धर्म को अधिकृत रूप से संरक्षण दे। हिन्दू धर्म विश्वकल्याण का विचार करने वाला एकमात्र धर्म है। परन्तु वर्तमान में हिन्दू धर्म पर अनेक आघात हो रहे हैं। हिन्दू अपने ही देश में अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है। इसलिए आवश्यक है कि, बहुसंख्यक हिंदुओं का भारत प्रथम हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित हो। वैसे तो भारत स्वाभाविक हिन्दू राष्ट्र है, परन्तु जब तक यह अधिकृत रूप से हिन्दू राष्ट्र नहीं होता, तब तक हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज की उपेक्षा ही होगी। हिन्दू राष्ट्र स्थापना के विषय में हिन्दू जनजागृति समिति पूरे देश में एक अभियान गत 20 वर्ष से चला रही है। इसी क्रम में हिन्दू नेतृत्व का संगठन करने के प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं। इस वर्ष 19 तथा 20 नवम्बर को दिल्ली में ‘उत्तर भारत हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का आयोजन किया गया है।

हिन्दुत्व के आंदोलन को प्रखर बनाना  : 

एक दशक पूर्व तक हिन्दू शब्द सुनकर लज्जा अनुभव करने वाली स्थिति से बाहर निकलकर आज हिन्दू राष्ट्र की चर्चा होने लगी है । भारत में आजकल राजनीति, धर्मनीति और ‘मीडिया’ इन तीनों क्षेत्रों में केवल और केवल हिन्दू राष्ट्र की ही चर्चा हो रही है । हिन्दू समाज अब समझ रहा है कि, स्वतंत्रता के पश्चात उसके साथ कैसे छल-कपट हुआ । इस कारण आज भारत वर्ष में हिन्दू हित के अनेक अभियान और आंदोलन प्रभावी रूप से चल रहे हैं । चाहे वह कानून के विरुद्ध ‘लाउडस्पीकर्स’ से कर्कश स्वर में बांग के विरोध में हो, ‘कुतुबमीनार’ अर्थात ‘विष्णुस्तंभ’, धार स्थित ‘भोजशाला’ मंदिर, अजमेर स्थित ‘अढाई दिन का झोपडा’ अर्थात ‘श्री सरस्वती मंदिर’ के सन्दर्भ में हो या गोवा राज्य में आक्रमणकारियों द्वारा तोडे गए मंदिरों की पुनर्निमिती के सम्बन्ध में हो । हर जगह न्यायालयीन संघर्ष प्रारंभ हो चुका है। वस्तुतः अपने ही देश में हिन्दू समाज को न्याय की प्रतीक्षा में आंदोलन खड़ा करना पड रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं । परन्तु यह संवैधानिक आंदोलन और प्रखर बने, एक-दूसरे के अनुभवों से हिन्दू राष्ट्र के अभियान को गति मिले, इस दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । 

हलाल जिहाद भारत ही नहीं , अपितु विश्व की अर्थव्यवस्था पर नया संकट : 

आज देश के सामने इस्लामी ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ का बडा संकट खडा हो गया है । हलाल प्रमाणपत्र के माध्यम से जो पैसा एकत्रित किया जा रहा है , उसका उपयोग कहां किया जा रहा है, ये भी आज जांच का विषय है। हलाल प्रमाण पत्र देने वाले संगठन ‘जमीयत उलेमा ए हिंद’ के कार्यकर्ताओं द्वारा देश के गृह मंत्री को धमकी दी जाती है। मध्य प्रदेश में इस्कॉन ने जब ‘मिड-डे’ मील बच्चों को विद्यालयों में देने के लिए कहा, तो इस्लाम मानने वालों ने इसका बहिष्कार करते हुए कहा, हम ये भोजन नहीं ग्रहण करेंगे, क्योंकि ये भगवान जगन्नाथ जी को अर्पण करके बांटा जाता है। तो हम पर हलाल प्रमाणित खाद्य पदार्थ और अन्य सामान क्यों थोपा जा रहा है ? संगठित होकर हम सभी इसका विरोध करेंगे, तो निश्चित ही हलाल अर्थव्यस्था को बढ़ने से रोका जा सकता है। हलाल जिहाद के विषय में व्यापक जागृति हेतु इस अधिवेशन में विमर्श होगा । 

हिन्दू राष्ट्र की मांग किसलिए ? :

आज अनेक लोग पूछते हैं, देश में राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी सरकार होते हुए अलग ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग किस लिए कर रहे हैं ? हमारा कहना है कि, सत्ता में राजनैतिक दल बदलते रहते हैं; परंतु हमें हिन्दुओं के हित की स्थिर व्यवस्था चाहिए । आज की ‘सेक्युलर’ रचना में हिन्दू हित की स्थिर रचना कहां है ? कहीं नहीं ! इसके विपरीत हिन्दू विरोधी घटनाओं में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है, दुर्भाग्यवश इसकी कहीं चर्चा नहीं की जाती । आज हिन्दू बहुल भारत में ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘थूक जिहाद’ के भयंकर षड्यंत्र चल रहे हैं । तमिलनाडु में लावण्या नामक एक गरीब छात्रा को धर्मांतरण के दबाव के कारण आत्महत्या करनी पडी । कमलेश तिवारी, हर्ष, किशन भरवाड, श्री निवासन, दिल्ली में अंकित, अब पंजाब में सुधीर सूरी, आदि हिन्दू नेताओं की दिन दहाडे हत्या की गई । इतना ही नहीं, बंदी बनाए गए ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ के आरोपियों के पास से 100 हिन्दुत्वनिष्ठों की ‘हिटलिस्ट’ मिली । यह सभी बातें हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता स्पष्ट करती हैं । 

हिन्दू राष्ट्र की निरंतर मांग करें ! :

आज 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। वर्ष 2011 की जनगणना का अध्ययन कर संख्याशास्त्री कह रहे है कि ‘वर्ष 2040 में भारत को पहला मुसलमान प्रधानमंत्री मिलेगा ।’ वर्तमान में केंद्र में राजनैतिक दृष्टि से साहसी निर्णय लेने की क्षमता रखने वाली सरकार है। अनुच्छेद 370 हटाना, राम मंदिर निर्माण, सी.ए.ए. कानून बनाना आदि राजनैतिक निर्णय लेने का साहस सरकार ने किया है। केंद्र में स्थिर और राष्ट्रवादी सरकार है, तब भी राज्यों में प्रांतीय और ‘सेक्युलर’ दलों की सरकारें हैं। इसलिए देश में एक प्रकार की राजनैतिक अराजकता है। ऐसी परिस्थिति में हमें अभी ही ‘भारतीय संविधान द्वारा हिन्दू राष्ट्र घोषित करें’, ऐसी मांग करनी चाहिए। यही उचित समय है। इससे आगे के 2-3 वर्ष हिन्दू राष्ट्र की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इसलिए हमें हिन्दू राष्ट्र की मांग निरंतर करनी पड़ेगी। इस दृष्टि से यह ‘उत्तर भारत हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ महत्वपूर्ण है।

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