पराग पांचाल, उज्जैन।
बीते अप्रैल माह में ही कलेक्टर आशीष सिंह ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्हें कई खामियां नजर आई थी। साथ ही कर्मचारी-अधिकारी बगैर सूचना के कार्यस्थल से गायब मिले थे। इस पर कलेक्टर ने कई जिम्मेदारों पर कार्यवाही की थी। लेकिन यहां की व्यवस्था तो सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है।
नया मामला जिला अस्पताल में न्यायालय के आदेश पर मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने पहुंचे एक पीड़ित का है। वाहन दुर्घटना में घायल हुए पीड़ित को न्यायालय के आदेश पर जिला अस्पताल में अस्थाई निर्योग्यता का परीक्षण कराने हेतु 9 मई 2022 को भेजा गया। यहां उसकी आवश्यक जांच की गई और मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुआ। यहां डॉ. महेश मरमट ने पीड़ित से कहा कि मैं कोर्ट का आदेश नहीं मानता हूँ, आप मेरे क्लिनिक पर आकर मिले और उसके फार्म पर लाईन खींचकर काट दिया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पीड़ित नंदराम ने इस बात का न्यायालय में शपथ पत्र भी दिया हैं। मामले में जब हमने पीड़ित नंदराम से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि हां मेरा एक्सीडेंट हो गया था और मेरे पैर में रॉड भी डली हुई है। न्यायालय के आदेश पर ही जिला अस्पताल गया था वहां जांच कराने के बाद डॉ. मरमट ने कोर्ट के आदेश देखे बिना ही लाइन खींच दी थी और मुझे क्लिनिक आने का कहा था।
विवादों से नाता है मरमट का
डॉ. मरमट पर यह पहली बार नहीं हुआ है। इसके पूर्व में माधव नगर अस्पताल में भी एक व्यक्ति ने मारपीट सहित अन्य गंभीर आरोप लगाये थे। फरियादी ने इस मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में भी की थी। बीते अप्रैल माह में कलेक्टर ने आर्थोपेडिक ओपीडी में किसी भी डॉक्टर के उपस्थिति नहीं पाए जाने पर आर्थोपेडिक सेक्शन के इंचार्ज डॉ. महेश मरमट का एक माह का वेतन काटने के निर्देश दिए थे।
सीएस ने भी झाड़ा पल्ला
हाल ही में कलेक्टर आशीष सिंह ने जब सिविल अस्पताल का दौरा किया था तो उस समय भी अस्पताल में मिली अनियमितताओं के कारण सिविल सर्जन डॉक्टर पीएन वर्मा और आरएमओ डॉक्टर जितेंद्र शर्मा का 7-7 दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए थे। लेकिन पीडि़त नंदराम के मामले में जिला अस्पताल के जिम्मेदार होने के कारण सिविल सर्जन वर्मा को कम से कम एक शोकाज नोटिस डॉ. मरमट को देना चाहिए था।
सीएस बोले मरमट से पूछो
जब हमने इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है, आप डॉ. मरमट से ही पूछ लें। चूंकि मैं सिविल सर्जन हंू, मेरे पास रोजाना 400-500 सर्टिफिकेट आते हैं। आप डॉ. मरमट से ही पूछें।
आखिर कैसे सुधरेगी व्यवस्था
बीते अप्रैल माह में ही कलेक्टर आशीष सिंह ने जिला अस्पताल का आकस्मिक दौरा किया था। उन्होंने ओपीडी, फार्मेसी सेक्शन, आर्थोपेडिक और साइकेट्रिस्ट सेक्शन का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने एक गर्भवती महिला को अनावश्यक निजी चिकित्सालय में रेफर करने के कारण महिला चिकित्सक डॉक्टर रेखा गोमे को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिये थे। वहीं अस्पताल में मिली अनियमितताओं के कारण सिविल सर्जन डॉक्टर पीएन वर्मा और आरएमओ डॉक्टर जितेंद्र शर्मा का 7-7 दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए थे।
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