भोपाल । सूचना का अधिकार अधिनियम की धज्जिया आये दिन शासकीय अधिकारियों द्वारा उड़ाई जाती रहती है। हाल ही में एक ऐसा मामला आयोग के सामने आया है जो हास्यास्पद तो है ही साथ ही जानकारी देने में की जा रही लापरवाही को उजागर करती है। लेकिन आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिम्मेदारों को पेश होने का आदेश दिया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम में जानकारी देने में जिम्मेदार पदों पर बैठे सरकारी अधिकारीयों द्वारा सरकार की मंशा को पलीता लगाया जाता रहा है। लेकिन हाल ही के मामले में माननीय सुचना आयुक्त ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच शुरू कर दी है। यही नहीं सम्बंधित कलेक्टर को भी मामले में कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही आयोग ने एक वरिष्ठ अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा एवं एक अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है।
यह है मामला
सिंगरौली जिले के बैढ़न जनपद पंचायत के जनपद अध्यक्ष भोला प्रसाद ने जनपद पंचायत बैढ़न से दिनांक 9 जनवरी 2019 को को RTI के तहत आवेदन प्रस्तुत किया। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी बृजेन्द्र तिवारी ने कोई जानकारी नहीं दी तो भोला प्रसाद ने जिला पंचायत के सीईओ को 13 फरवरी 2019 को आवेदन प्रस्तुत किया लेकिन वहां से भी उसे कोई जानकारी नहीं दी गई। पहली अपील में जानकारी नहीं मिलने पर आवेदक ने दूसरी अपील 28 अगस्त 2019 को आयोग के समक्ष की। जिसमें आवेदक ने जानकारी देते हुए बताया कि उसे कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। आयोग ने जब तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी बृजेन्द्र तिवारी से जानकारी मांगी तो उन्होंने अपीलार्थी के किसी भी तरह के आवेदन नहीं होने की बात कही। जबकि आवेदक के पास पावती थी। अपीलार्थी ने आयोग को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से नाम लेकर अधिकारियों पर उसे उसकी जाति का नाम लेकर अपमानित करने और उसी आधार पर किसी भी तरह की जानकारी नहीं देने की बात कही। राज्य सूचना आयुक्त ने इसे गंभीर माना और अपने आदेश में कहा कि इस तरह के जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करना अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(1) m के तहत दंडनीय अपराध है। मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पाया कि आवेदक अपीलार्थी भोला प्रसाद साकेत ने आटीआई के तहत कई आवेदन लगाए लेकिन उसे कोई जानकारी नहीं दी गई जबकि आवेदनों की पावती आवेदक के पास मौजूद मिली।
सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के लिए दस्तावेज सिंगरौली कलेक्टर को भेज दिए हैं। वहीं आरटीआई अधिनियम के तहत आयोग स्तर पर सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत जांच शुरु की है। इसमें जनपद पंचायत बैढ़न के सीईओ अशोक कुमार मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस प्रकरण में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने 10 दिन के भीतर जनपद अध्यक्ष को जानकारी देने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी बृजेन्द्र तिवारी को 25 मार्च 2022 को राज्य सूचना आयोग में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।
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