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मोहताज नहीं महिला कोई गुलाब की, वह तो खुद बागवान है इस कायनात की

उज्जैन  /  मोहताज नहीं महिला  किसी गुलाब की ,वह तो खुद कायनात है इस बागवान की जिस तरह फूलों के अलग-अलग रूप होते हैं ठीक उसी तरह महिलाओं के बी विभिन्न स्वरूप होते हैं वह घर की बेटी है ,बहू है ,पत्नी है ,मां है। नारी के इस विभिन्न स्वरूपो को हम प्रणाम करते हैं यह बात आज शैक्षणिक, सामाजिक संस्था द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में संस्था 
अध्यक्ष पंकज पांचाल ने स्वागत भाषण के दौरान कहीं।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाल कल्याण समिति सदस्य श्रीमती वर्षा व्यास थी, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ कविता मेहता (ज्योतिषाचार्य) द्वारा की गई। विशेष अतिथि के रूप में श्रीमती सुमन पांचाल एवं शहर की  प्रसिद्ध ब्यूटीशियन श्रीमती मनीषा उपाध्याय मौजूद थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती वर्षा व्यास ने महिलाओं के हित चल रही सरकारी योजनाओं की कानूनी जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि देश की हर लड़की को शिक्षा का मौलिक अधिकार है राइट टू एजुकेशन में हिस्सेदारी तय की है, शिक्षा के अधिकार में जिन बच्चों को स्कूल में प्रवेश किया जाता है उनमें 50 प्रतिशत बालिकाओं का होना अनिवार्य है
कार्यक्रम की विशेष अतिथि डॉ कविता मेहता ने कहा कि भारतीय महिला बेहद गंभीर और स्थिर मन की होती है वह घर और बाहर दोनों जगह बेहतर परफॉर्मेंस देती है महिलाएं अच्छी मैनेजमेंट गुरु होती है ,देश की जीडीपी में महिलाओं का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान होता है परंतु दुर्भाग्य है कि आज देश में कन्या भ्रूण हत्या हो रही है जो अत्यंत चिंता का विषय है।

कार्यक्रम की विशेष अतिथि श्रीमती मनीषा उपाध्याय ने कहा कि आज भारतीय नारी स्वतंत्रत जीवन जी रही है, आज यहां इस कार्यक्रम में सासु भी उपस्थित है, और बहू भी उपस्थित है, ना घुंघट है ना हिजाब ,से यह तय है या है कि महिलाएं स्वतंत्र जीवन जी रही है, हमारी महिला प्रगति और विकास के पथ पर तेजी से कदमताल बढ़ाते आगे बढ़ रही है आज सोशल मीडिया पर यह देखकर अच्छा लगता है कि जब कहीं बेटियों का जन्म होता है तो मार्ग को फूलो से सजाया जाता है, बड़ा स्वागत सत्कार किया जाता है ,यह बदलते परिवेश का एक पहलू है।
कार्यक्रम की विशेष अतिथि श्रीमती सुमन पांचाल ने कहा कि नारियों की तुलना देवी -देवताओं और भगवान से की जाती है। जब भी घर में बेटी का जन्म होता है तो कहा जाता है कि लक्ष्मी आई है, घर में नवविवाहित बहू आती है तो कहा जाता है कि लक्ष्मी का आगमन हुआ है, कभी आपने सुना है कि बेटे की तुलना ऐसी की गई हो कि घर में कुबेर आए हैं विष्णु आए हैं ,नारी का सम्मान वेद और पुराणों से चला रहा है।
कार्यक्रम के दौरान सफाई कर्मी श्रीमती श्रीमती सुमन चावरे, श्रीमती गायत्री टाकले ,श्रीमती ममता आदि को शाल ,श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्रीमती कीर्ति व्यास, श्रीमती पुष्पा ईरानी, श्रीमती भारती कर्मवानी,श्रीमती कल्पना भटनागर, श्रीमती मृणालिनी उपाध्याय, श्रीमती ललिता मोदी,श्रीमती रीना नागर, श्रीमती नीलम सक्सेना, श्रीमती सरोज जायसवाल, श्रीमती भावना चावड़ाश्रीमती श्रद्धा वर्मा, श्रीमती वाहिनी जोशी, सुश्री सलोनी जायसवाल,आदि उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सरिता हाड़ा ने किया आभार श्रीमती वर्षा पांचाल ने माना।

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