भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। हर किसी के मन में अब यह सवाल है कि क्या यह चुनाव टाले जाएंगे? इस सवाल की वजह बनी है विधानसभा में स्थगन पर हुई चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के द्वारा दिया गया वक्तव्य। इधर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सरकार को लेकर जो बयान दिए है उससे मामला उलझता जा रहा है। आइये जानते है पंचायत चुनाव को लेकर किसने क्या बयान दिया है।
यह बोले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में 27% ओबीसी आरक्षण निरस्त हो जाने के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कई तर्क और तथ्य प्रस्तुत किए। इसके अलावा कहा कि हम किसी भी वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों, इसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उनके बयानों ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है की आखिर होने क्या वाला है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान
नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया कि उन्होंने 27% ओबीसी आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला लिया था। सुप्रीम कोर्ट में पिछड़ा वर्ग आरक्षण निरस्त हो जाने के लिए भाजपा और शिवराज सिंह सरकार जिम्मेदार है। इसके अलावा कहा कि सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन के खिलाफ चलिए मिलकर अपील करते हैं। लेकिन कमलनाथ ने सरकार से बिल्कुल भी यह अपील नहीं की कि ओबीसी आरक्षण विवाद का निपटारा होने तक चुनाव स्थगित कर दिए जाएं। अब देखना है की सरकार निर्णय करती है।
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह बोले आरक्षण तो लागु करेंगें
इधर प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा है की अगर जान भी देना पड़े तो जान दे देंगे, परंतु ओबीसी के आरक्षण को किसी भी कीमत पर हम रुकने नहीं देंगे। हमारी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” इतना ही नहीं चर्चा मे सबसे अंत में बोलते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा OBC के आरक्षण को इन चुनावों में जारी रखने के लिए हमारी सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में जा रही है और हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि OBC आरक्षण के साथ ही चुनाव हो, यह व्यवस्था करने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले कई दिनों से वे दिन-रात विधि वेत्ताओ के साथ प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सबके साथ संपर्क में रहकर इस बात के लिए प्रयत्नशील थे कि कैसे ओबीसी वर्ग को उसका अधिकार दिलाया जाए और अभी भी उसी के लिए काम कर रहे हैं। इस पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने यह जरूर कहा कि मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन अगर दो दिन पहले दे दिया होता तो हमारे स्थगन का प्रश्न ही नहीं आता। सरकार के इस रूख से यह साफ लगता है कि अब पूरी तैयारी के साथ वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी और ओबीसी आरक्षण को वर्तमान पंचायत चुनाव में जारी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।
राज्य निर्वाचन आयोग से भी नहीं आया कोई बयान
इस पुरे घटनाक्रम को लेकर मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त का अभी तक कोई बयान नहीं आया है। प्रेस को सूचना जारी की गई है कि पंचायत निर्वाचन 2021-22 में प्रथम और द्वितीय चरण के लिये 20 दिसम्बर को 101917 अभ्यर्थियों ने नाम निर्देशन-पत्र जमा किए। इनमें 50893 पुरूष और 50963 महिला अभ्यर्थी के नाम निर्देशन-पत्र हैं। प्रथम और द्वितीय चरण के लिए अंतिम तिथि तक कुल 153025 अभ्यर्थियों ने नाम निर्देशन-पत्र प्रस्तुत किया है, जिनमें से 77677 पुरुष और 75285 महिला तथा 2 अन्य अभ्यर्थी शामिल हैं।
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