उज्जैन
बाजार में मिलने वाली महंगी हींग पूरी तरह से शुद्ध नहीं होती। उसमें गेहूं का आटा अथवा स्टार्च और खाने वाला गोंद मिलाया जाता है। कुछ लोग इसमें हींग ऑयल भी मिलाते हैं। इस तरह से तैयार होने वाली हींग को कंपाउंड हींग की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन बाजार में कुछ लोग कंपाउंड के नाम पर खुली हींग बेचते हैं और उसमें आटे व गोंद की मात्रा बढ़ा दी जाती है। इससे वह मानकों पर खरी नहीं उतरती।बाजार में बिकने वाली कंपाउंड हींग पूरी तरह से पैक्ड होती है। और उसके कवर पर सभी इनग्रेडिएंट
और उनकी मात्रा लिखी रहती है। लेकिन अनिल भावसार कंपाउंड हींग को खुले में बेच रहे थे। इसलिए यह अपराध की श्रेणी में आता है।
यह है मामला -
उज्जैन में महाकाल थाना क्षेत्र के दानीगेट पर बुधवार देर रात को खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने मिलावटी हींग के गोडाउन पर छापा मार कार्रवाई की।कार्रवाई में
पौने छह क्विंटल हींग, गोंद गेहूं का आटा, हींग ऑयल, व स्टार्च जब्त किया है। विभाग ने इसकी कीमत 14 लाख रुपए से अधिक आंकी है।
सभी पदार्थों के सेंपल जांच के लिए भोपाल भेजे गए हैं। गोडाउन मालिक अनिल भावसार का कहना है कि वह इंदौर के सियागंज में महाकाल ट्रेडिंग के नाम से कारोबार करता है। वहां फर्निचर का काम होने के कारण उसने उज्जैन स्थित घर में ही हींग स्टोर करने की बात कही। लेकिन खाद्य विभाग के अफसरों का दावा है कि यहां लंबे समय से हींग स्टोर की जा रही है। और इसके लिए भावसार ने लाइसेंस भी नहीं लिया है। कार्रवाई के बाद इस धंधे की कई परतें उघड़ी हैं। बाजार में मांग के आधार पर कंपाउंड हींग बनाने के फॉर्मूले पर काम कर रहे थे।
भावसार ने कहा कंपाउंड हींग बाजार में भी बिकती है। इसलिए उन्होंने भी इस धंधे में हाथ आजमाने की कोशिश की। चूंकि अभी हींग महंगी हो रही है और दूसरे ब्रांड पुराने दामों पर ही हींग बेच रहे हैं, इसलिए उन्होंने भी कंपाउंड हींग बनाने के क्षेत्र में उतरने की का मन बनाया। लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिकारी बसंत दत्त शर्मा ने कहा कि भावसार बीते सात-आठ सालों से हींग का धंधा कर रहे हैं। इसलिए यह समझ से परे है कि उन्होंने अभी ही कंपाउड हींग बनाना शुरू किया होगा। हम इनके खरीदी-बिक्री के सभी दस्तावेज चैक करेंगे। साथ ही भोपाल से हींग व अन्य पदार्थों की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
ऐसे तैयार होती है कंपाउंड हींग -
बाजार में दो तरह की हींग मिलती है असली हींग और कंपाउंड हींग। कंपाउंड हींग पावडर के रूप में बाजार में बिकती है। इसलिए उसमें मिलावट की आशंका ज्यादा रहती है। यानी उसमें गेहूं का आटा अथवा स्टार्च और गोंद की मात्रा ज्यादा मिलाई जाती है। गोंद और आटे अथवा स्टार्च को महीन पीसकर उसे बारीक हींग में मिला दिया जाता है।
ऐसे पहचानें असली हींग -
असली हींग को माचिस की तिली से जलाने पर वह पूरी तरह जल जाती है। जबकि मिलावटी हींग या तो जलेगी नहीं अथवा देरी से जलेगी। मिलावटी हींग का जलना उसमें मिली हुई हींग की मात्रा पर निर्भर करता है। असली हींग पानी में पूरी तरह से घुल जाती है। असली हींग में सल्फर की मौजूदगी के कारण आंखों से आंसू आने लगते हैं।
पैकिंग से ऐसे पता लगाएं -
बाजार में किसी भी ब्रांड की हींग खरीदते समय उसके इनग्रेडिएंट जरूर देखें। उसमें जो पदार्थ सबसे ज्यादा होगा उसे सबसे पहले लिखा जाएगा। इसके बाद उससे कम पदार्थ का नाम। यानी यदि किसी प्रॉडक्ट में एक से ज्यादा घटक हैं तो उन्हें घटते क्रम में लिखा जाता है। जैसे नीचे के चित्र में सबसे ज्यादा आटा है। इसकी मात्रा 50 फीसदी है। उससे कम गोंद है, और उससे कम हींग। लेकिन इसमें किसी भी घटक की मात्रा नहीं लिखी है, केवल स्टार्च की 50 फीसदी ही लिखी है।
रिपोर्ट आने तक गोडाउन सील, इसके बाद आगे की कार्रवाई -
हमने सेंपल जांच के लिए आज ही स्टेट लेबोरेटरी में भोपाल भेज दिए हैं। वहां से दो सप्ताह में रिपोर्ट आ जाएगी। तब तक भावसार के गोडाउन को सील कर दिया है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बसंत दत्त शर्मा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, उज्जैन।
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