भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के खिलाफ एक बार फिर कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। कर्मचारी डीए एवं सातवें वेतनमान के इंक्रीमेंट को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं। इसके लिए पूरे प्रदेशभर में ज्ञापन दिए जा रहे हैं। मंत्रालय के कर्मचारियों ने 1 दिन की हड़ताल का ऐलान भी कर दिया है। जल्द ही पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ कर्मचारियों की दिखने लगेगी। इस संकट से निपटने के लिए वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री को एक सुझाव दिया है, यदि इस पर अमल होता है तो अधिकतर कर्मचारियों को घर बैठाया जा सकता है। कर्मचारियों की कमी को आउटसोर्स से पूरा करने की भी योजना है। बताया जा रहा है कि आउटसोर्स कर्मचारी अधिक काम भी करते हैं और उन्हें वेतन भी कम देना होता है।
जिस योजना का मध्यप्रदेश के वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है वह योजना 2 अगस्त 2002 से मध्य प्रदेश में लागू है। मूल रूप से यह योजना मध्य प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की डिमांड पर बनाई गई थी। इस योजना के तहत कोई भी कर्मचारी-कम से कम 3 और अधिकतम 5 साल के लिए छुट्टी पर जा सकता है। छुट्टी के दौरान उसे 50 प्रतिशत वेतन मिलेगा। छुट्टी के दौरान वह प्राइवेट जॉब कर सकता है या फिर अपना बिजनेस कर सकता है। छुट्टी पर जाने से उसकी सीनियरिटी प्रभावित नहीं होगी। छुट्टी के दिनों में इंक्रीमेंट नहीं मिलेगा लेकिन कर्मचारी अपनी पेंशन का हकदार होगा। इस दौरान यदि कर्मचारी का निधन हो जाता है तो उसके आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के अधिकारी होंगे। इसके साथ ही 20-50 नियम के तहत ऐसे कर्मचारी जिन की सेवा अवधि 20 साल या उनकी आयु 50 साल हो गई है उन्हें दोबारा कसौटी पर कसा जाएगा। योग्यता और स्वास्थ्य के मामले में यदि कर्मचारी फेल हो गया तो उसका डिपार्टमेंट उसे अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर देगा। अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि इन दोनों को एक साथ कर्मचारियों के सामने रख दिया जाए। इसका फायदा यह होगा कि कई कर्मचारी 5 साल के लिए छुट्टी पर चले जाएंगे और इस दौरान उन्हें इंक्रीमेंट नहीं देना पड़ेगा। सबसे खास बात यह है कि इसी अवधि में विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव हो जाएंगे। कर्मचारी नाराज नहीं होगा तो वोट बैंक भी प्रभावित नहीं होगा। यदि कोई कर्मचारी ज्यादा न्याय की बात करें तो उस पर फार्मूला 20-50 लागू कर दिया जाए। इसके अलावा डिपार्टमेंटल पॉलिटिक्स को थोड़ी छूट दे दी जाए। अधिकारी इस फार्मूले में फंसा कर उन तमाम कर्मचारियों को बाहर निकाल देंगे जिन्हें वह पसंद नहीं करते। ऐसा होने पर कर्मचारी, कार्रवाई करने वाले अधिकारी से नाराज होगा सरकार से नहीं।
कर्मचारियों की कमी आउटसोर्स से होगी पूरी
यदि अधिकांश कर्मचारी छुट्टी पर जाते हैं या वीआरएस लेते हैं तो मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की कमी हो जाएगी। इसको पूरी करने के लिए आउटसोर्स का सहारा लिया जाएगा। नियमित कर्मचारी छुट्टी पर जाने से उनकी कुर्सी पर आउटसोर्स कर्मचारी को बिठा दिया जाएगा। इसका एक फायदा यह है कि इनसे कितना भी ओवरटाइम करवा लो आउटसोर्स कर्मचारी कुछ बोलते नहीं है। यही नहीं वरिष्ठों के बताये काम को पूरा करने में लगे रहते हैं।
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