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स्वास्थ्य कर्मियों की मांग पर बिगड़ गये शिवराज के मंत्री डॉ. मोहन यादव के बोल

उज्जैन/
 शहर में कोरोना संक्रमण के बीच दो दिनों से सविंदा नियुक्ति को लेकर चल रही स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री  डॉ मोहन यादव के बिगड़े बोल ने नया विवाद खड़ा कर दिया।  पहले तो हड़ताली कर्मचारी मंत्री से मिलने पहुंचे तो उनसे मिलना भी उचित नहीं समझा। बाद में  मंत्री यादव  ने ज्ञापन लेने के बाद कहा कि मैं सीएम से बात करूंगा। वैकेंसी निकाली जाए। मिडिया को दिये बयान में श्री यादव ने कहा कि उनको भी जरूरत थी इसलिए काम करने आए हैं, कोई किसी को जबरदस्ती थोड़ी ना लगाता है। टेम्पररी से परमानेंट होना चाहते हैं तो अच्छी बात है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि स्टाफ को काम आता है इसलिए सरकार को उनकी आवश्यकता पड़ती है। उम्मीद करता हूं कि बीच का रास्ता निकालेंगे।
मंत्री के बयान पर हड़ताली कर्मियों का गुस्सा फूटा
कोविड19 में साल भर से सेवा दे रहे अस्थाई कर्मी दो दिन से अपनी संविदा नियुक्ति की मांग को लेकर हड़ताल पर है। डॉ चेतना रावल ने आरोप लगाया कि हड़ताल के पहले दिन अपनी मांग लेकर स्वास्थ्य कर्मी कोविड प्रभारी और प्रदेश कैबिनेट मंत्री मोहन यादव के पास पहुंचे थे। मंत्री ने उन्हें ये कहकर लौटा दिया कि तुम्हें पैसों की जरूरत थी तो तुम आए काम करने। डॉ रावल ने कहा कि मंत्री द्वारा किया गया व्यवहार ठीक नहीं था।
NHM में लागू नहीं हुई सरकार की नीति
 अपनी मांगों को लिए हड़ताल करने वाले अस्थाई कर्मियों का कहना है कि 5 जून 2018 को नीति बनाई गई कि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समक्ष 90% वेतन दिया जाना चाहिए। यह नीति अब तक कई विभागों में लागू हो चुकी है। NHM में यह नीति अब तक लागू नहीं की गई। 3 साल में कई आवदेन दिए बावजूद उसके सुनवाई नहीं हो रही। प्रदेश में 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी है। उज्जैन जिले में 500 के करीब है।
 मंत्री के बयान ने आग में घी का काम किया।
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना को लेकर स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही चरमराई हुई है। स्टाफ की कमी ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को और बिगाड़ दिया था। अब मुश्किल और तब बढ़ गई जब दो दिन पहले 25 मई को 50 से अधिक अस्थाई पैरामेडिकल स्टाफ, आयुष विभाग, नर्सिंग स्टाफ समेत फॉर्मेसी से जुड़े अस्थाई कर्मियों ने लामबंद होकर संविदा नियुक्ति की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। इसके कारण चरक और माधव नगर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई। मंत्री मोहन यादव द्वारा दिए गए बयान  ने हड़ताल की आग में घी का काम किया है।
कलेक्टर ने कहा यह समय हड़ताल का नहीं,हमें आपकी है जरुरत
  बीते दो दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने चरक अस्पताल के बाहर गुरुवार को भीख मांगकर अनोखा प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में ना सिर्फ पुरुष स्वास्थ्य कर्मी बल्कि बड़ी संख्या में महिला कर्मी भी शामिल हुई। स्वस्थ्य कर्मियों ने भीषण उमस और गर्मी के बाद भी PPE किट पहनकर भीख मांगी और प्रदर्शन किया। इस दौरान सड़क से गुजरने वाली कार और बाइक सवार से हड़ताली कर्मियों ने भीख मांगी और अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में अस्थाई कर्मी मौजूद रहे।
 इस बीच उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह भी चरक भवन पहुंचे। हड़ताल कर रहे कर्मियों को इस बात की जानकारी लगी तो वे सभी गुहार लगाने आशीष सिंह के पास पहुंचे। जहां सभी ने कलेक्टर के सामने घुटने टेक कर प्रदर्शन किया और अपनी मांग रखी। इसको लेकर कलेक्टर ने कहा कि आपकी मांगों को सरकार तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है लेकिन ये वक़्त हड़ताल का नहीं है। मांगों का निराकरण सरकार को करना है लेकिन, अभी आपकी जरुरत है। सभी काम पर लौटे।

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