»उज्जैन 05 फरवरी। वैदिक दर्शन पर केन्द्रित कल्पवल्ली का आयोजन कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा 4 एवं 5 फरवरी को किया गया। इसका समापन उपनिषद आश्रम उज्जैन के स्वामी वीतरागानन्दजी के व्याख्यान से हुआ। अपने उद्बोधन में स्वामीजी ने कहा कि समस्त वेदों की ज्ञानराशि उपनिषद है। अज्ञान का निरसन और अमृतत्व का आधान उपनिषद के अध्ययन से होता है। गुरु के समीप ज्ञानार्जन के लिये बैठना उपनिषद का मूलार्थ है। सत्य के साक्षात्कार के सूत्र उपनिषदों में निर्दिष्ट हैं। व्याकरणशास्त्र वेदपुरुष का मुख और उपनिषद शिरोभाग है।
डॉ.पिलकेन्द्र अरोरा ने इस अवसर पर कहा कि उपनिषदों से प्रेरित है गुरुवाणी के उपदेश। उपनिषद महासागर है और गुरुवाणी झील के समान है। सागर का जल झीलों में आता है और मधुर हो कर जीवमात्र को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करता है। सिक्ख एक पंथ है और ग्रन्थसाहिब में सभी धर्मों के उपदेशों का संकलन है। ओंकार महामन्त्र है और एकेश्वरवाद के सिद्धान्त को पुष्ट करता है। यह सदभाव और समन्वय का सन्देश देता है। परमात्मा की भक्ति से ब?ा कोई धर्म नहीं है।
इससे पूर्व चारों वेदों से वेदपाठ उज्जैन के वैदिकों और ब्रजेश्वरानन्द वेदविद्यालय, महर्षि कण्व वेदविद्यालय के विद्यार्थियों ने किया। अतिथियों का स्वागत अकादमी की प्रभारी निदेशक श्रीमती प्रतिभा दवे ने किया तथा संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ.सन्तोष पण्ड्या ने किया। इस अवसर पर डॉ.श्रीकृष्ण जोशी, श्री विनोद काबरा, श्री मदनलाल ललावत, डॉ.श्रीराम दवे सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
उपनिषद पर केन्द्रित संगोष्ठी
औपनिषदिक चिन्तन पर केन्द्रित शोध संगोष्ठी का सत्र 4 फरवरी को सायं आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल के निदेशक डॉ.जे.भानुमूर्ति ने की। इस सत्र में डॉ.सन्दीप शर्मा धामनोद, डॉ.मधुसूदन व्यास गुजरात, डॉ.श्रीगोविन्द पाण्डे भोपाल, डॉ.अखिलेश मिश्र जबलपुर, डॉ.वेदप्रकाश शुक्ल, डॉ.पतंजलिकुमार पाण्डे, श्री बृजकिशोर शर्मा उज्जैन ने आलेखों का वाचन किया।
सन्तूर और सितार की मधुर प्रस्तुति हुई
कल्पवल्ली के अन्तर्गत 4 फरवरी की सन्ध्या उज्जैन की प्रतिष्ठित कलाकार सुश्री संस्कृति एवं प्रकृति वाहने द्वारा शास्त्रीय वादन किया गया। आपने सन्तूर और सितार की जुगलबन्दी की प्रस्तुति की। एक घंटे की इस प्रस्तुति में कलाकारों ने श्रोता-दर्शकों को रसास्वादन कराया। आपके साथ तबले पर संगत श्री निशान्त शर्मा मन्दसौर ने की। अपने कार्यक्रम का समापन प्रसिद्ध भजन ठुमक चलत रामचन्द्र के साथ किया। इस कार्यक्रम का रसास्वादन करने के लिये नगर के अनेक सहृदय श्रोता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अजय मेहता ने किया तथा कलाकारों का स्वागत श्रीमती प्रतिभा दवे ने किया।
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