भोपाल। मध्यप्रदेश में 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका और 294 नगर परिषद के चुनाव प्रस्तावित हैं। संभावना है कि मार्च के पहले सप्ताह में नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसे ध्यान में रखकर ही बीजेपी अपनी रणनीति पर काम कर रही है। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने रणनीति बनाना शुरू कर दी है। इस चुनाव में नेता पुत्रों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। जहां परिवारवाद दमदार नहीं होगा वहां जमीनी स्तर के युवा नेताओं को मौका मिलेगा। तय किया गया है कि 40 साल से अधिक उम्र वाले नेताओं को पार्षद पद का टिकट नहीं दिया जाएगा। माना जा रहा है कि यह प्रयोग सफल होता है तो बड़े नेताओं को मिल सकती है अनिवार्य सेवानिवृत्ति। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में करीब 53 प्रतिशत युवा मतदाता है। जिनमें 20 से 29 की उम्र के 27.38 प्रतिशत, 30 से 39 की उम्र के 25.58 प्रतिशत है। अनुमान के अनुसार मध्यप्रदेश के कुल 5.34 करोड़ वोटरों मेंं से 2.75 करोड़ से ज्यादा वोटर युवा हैं।
पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी। इसमें भी क्राइटेरिया फिक्स था कि मंडल अध्यक्ष की उम्र 40 वर्ष से अधिक नहीं होगी। इस सब के पीछे कारण यह है कि बीजेपी 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रदेश में युवाओं को जोडऩे के लिए बड़ी तैयारी कर रही है। यदि मैदानी स्तर पर पार्टी के पदाधिकारी और पार्षद युवा होंगे तो ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवा मतदाताओं को आकर्षित कर पाएंगे। मध्य प्रदेश में पार्टी इंडिपेंडेंट होना चाहती है। यदि नगरीय निकाय चुनाव में प्रयोग सफल रहा तो मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में वरिष्ठ भाजपा नेताओं को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने पार्टी के पांच प्रदेश महामंत्रियों को युवा चेहरों की लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी दी है। हर क्षेत्र में जहां चुनाव होने हैं, कितने युवा दावेदार हो सकते हैं एवं उनकी लोकप्रियता का स्तर क्या है, इस प्रकार के कई सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं। प्रदेश में 16 नगर निगम, 98 नगरपालिका और 294 नगर परिषद के चुनाव प्रस्तावित हैं। संभावना है कि मार्च के पहले सप्ताह में नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसे ध्यान में रखकर ही बीजेपी अपनी रणनीति पर काम कर रही है।
ताजा टिप्पणी