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करोड़ो रूपये की योजनाओं पर लग रहा पलीता : उज्जैन में नर्मदा-शिप्रा के जल की सरेआम हो रही चोरी

उज्जैन। शिप्रा नदी से सुनियोजित हजारों गैलन पानी हर दिन सैकड़ों मोटर पम्प लगाकर चोरी हो रहा है। अब तक इस पर खासी धनराशि भी खर्च हो चुकी है लेकिन नर्मदा का पानी क्षिप्रा में छोड़े जाने के बाद करीब-करीब हर बार गंतव्य तक पहुँचने से पहले ही इस पानी का एक बड़ा हिस्सा क्षिप्रा नदी के आसपास के खेत मालिकों द्वारा पम्प से खींच लिया जाता है। गऊघाट के ठीक सामने पानी के भीतर मोटर से पानी पम्पिंग किया जा रहा हैं। करोडों रुपए खर्च कर नर्मदा का पानी शिप्रा के लिए लाया जाता हैं और इस पर डकैत और माफियाओं की तरह डाका डाला जा रहा हैं। शिप्रा नदी से प्रतिदिन हजारों गैलन पानी की चोरी हो रही हैं और रोकने वाला कोई नहीं हैं। शिप्रा को सदा प्रवाहमान, सदा नीरा रखने के लिए सरकार द्वारा करोडों रु.की दो योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया हैं। इसका लाभ पानी चोर जमकर उठा रहे हैं। पानी के भीतर मोटर डाल कर पानी चोरी किया जा रहा हैं। पाईपलाईन चोरों के लिए वरदान करीब 432 करोड़ रुपए की नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के अधिक खर्चीला साबित होने के साथ ही लम्बा सफर तय करने के बाद भी पानी गंतव्य तक नहीं पहुंचने की वजह से 139 करोड़ रु.खर्च कर इंदौर जिले के गांव उज्जैनी से उज्जैन शहर से सटे हरियाखेड़ी गांव तक 1325 मिलीमीटर व्यास की 66.17 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई है। पाइपलाइन का एक आउटलेट त्रिवेणी ब्रिज के पास हरियाखेड़ी में और दूसरा गऊघाट के डाउन स्ट्रीम में बनाया गया हैं। यह पानी चोरों के लिए वरदान बन गया हैं। सम्पवेल बनाया शिप्रा के डाउन स्ट्रीम गऊघाट पर नदी किनारे बसे सांवराखेड़ी गांव के अनेक खेतों में पाईप लाईन के जरिए शिप्रा से चोरी का पानी पहुंचाया जा रहा हैं। इसके लिए बकायदा एक मिनी सम्पवेल बनाया गया हैं। तार,कंटीली पेड की आड में एक कक्ष के अंदर बने सम्पवेल में नदी के तल में रखे पम्प (मेढकी,मटकी) से नदी का पानी उलीच कर पम्पों से पाईपलाईन से खेतों तक पानी जाता हैं। इतना ही अलग-अलग खेतों में पानी की सप्लाई नियंत्रण करने के लिए वॉल्व लगाए गए हैं। बिजली के तार एक से दूसरे किनारे तक पानी चोरों की सुविधा के लिए विद्युत कंपनी भी पीछे नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बिजली का भरोसा नहीं हैं। पानी चोरी के लिए विद्युत आपूर्ति शहरी क्षेत्र से बनी रहे इसके लिए नदी के आर-पार विद्युत लाईन भी हैं। बिजली के तारों का एक हिस्सा गऊघाट पर तो दूसरा सांवराखेड़ी में हैं। तार भी नदी के उपर से गुज रहे हैं। पड़ताल में पता चला कि सांवराखेड़ी में एक नेता के परिजनों की कृषि भूमि हैं। इसी के प्रभाव-दबाव में नदी के पार बिजली की लाईन गई हैं। बताया तो यह भी जा रहा हैं कि सम्पवेल से खेतों को पानी उपलब्ध कराने के लिए शुल्क भी वसूला जाता हैं। इतना होने के बाद भी पानी पर पड़ रहे इस 'डाके' को रोकने के लिए कोई विभाग कारवाई नहीं करता हैं। मज़े की बात तो यह भी है कि पानी चोरी रोकने इसकी निगरानी करने वाले विभाग पीएचई शहर,पीएचई ग्रामीण, जल संसाधन ने लम्बे सयम से कोई कारवाई नहीं की।

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