नीमच। मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त कुख्यात तस्कर बंशीलाल गुर्जर ने पहले तो अपना खुद का ही फर्जी एन्काउंटर करवाया और फिर दूसरे नाम की आईडी बनवाकर फिर तस्करी में लग गया। जिला न्यायालय ने आरोपी को विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए 7-7 वर्ष का कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि आरोपी बंशीगुर्जर उज्जैन से ही गिरफ्तार किया गया था और फर्जी एन्काउंटर कांड की कहानी सामने आई थी।
मार्च 2009 में पुलिस अधीक्षक वेद प्रकाश शर्मा ने जानकारी दी थी कि राजस्थान पुलिस की हिरासत से बंदी को छुड़ा ले जाने वाले गिरोह के सरगना और दस हजार रूपए का इनामी बदमाश बंशीलाल गुर्जर नीमच जिले के रामपुरा क्षेत्र में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस अधीक्षक वेद प्रकाश शर्मा ने बताया था कि मुठभेड़ रविवार तडक़े बैसला घाट में उस समय हुई जब बंशीलाल-30, को रोकने का प्रयास किया गया लेकिन उसने गोली बारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में बंशीलाल की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने उसके पास से दो पिस्तौल और कुछ कारतूस बरामद किए थे। एनकाउंटर के कुछ समय बाद ही तस्करी के कारोबार से संबंधित लोगों ने दावा किया था कि बंशीलाल गुर्जर जिंदा है। एक अन्य अपराध में आरोपी घनश्याम धाकड़ को दिनांक 25.9.2011 को गिरफ्तार किया था, जिसने पुलिस को बताया था कि वह फरारी के दौरान आरोपी बंशीलाल गुर्जर के यहां था। इस प्रकार घनश्याम धाकड़ द्वारा दी गई जानकारी एवं जनचर्चा के आधार पर आरोपी बंशीलाल गुर्जर के जीवित होने के प्रमाण मिले। पुलिस बंशीलाल को तलाश ही रही थी कि 20 नवंबर 2011 को आरोपी उज्जैन के दानीगेट से पुलिस के हत्थे चढ़ गया। तलाशी लेने पर उसके पास उसका फोटो लगा ड्राईविंग लाईसेंस व वोटर आई.डी. कार्ड मिला, जिसमें नाम शिवा गुर्जर का लिखा था। आरोपी के विरूद्ध पुलिस थाना नीमच केंट में अपराध क्रमांक 631/12, धारा 419, 420, 468/471 भादवि का पंजीबद्ध किया गया। संपूर्ण विवेचना में यह पाया गया कि आरोपी बंशी गुर्जर द्वारा स्वयं को मृत दिखाने के लिए उसके द्वारा कूटरचना कर फर्जी दस्तावेज शिवा गुर्जर के नाम से बनाये गये। अपराध की संपूर्ण विवेचना पूर्ण कर अभियोग-पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान महत्वपूर्ण साक्षीगण के बयान न्यायालय में कराते हुए आरोपी द्वारा स्वयं को मृत बताकर अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाये जाने के अपराध को प्रमाणित कराया गया एवं आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया, जिस पर से माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को धारा 420 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1,000रू. जुर्माना, धारा 468/471 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1,000रू. जुर्माना तथा धारा 419 भादवि में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रू. जुर्माना से दण्डित किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक मनीष जोशी द्वारा की गई।
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