वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश में मंदिरों में तोडफोड की 228 घटनाएं हुईं, ऐसा राज्य के पुलिस महासंचालक ने कहा है । इन हिन्दूविरोधी घटनाओ के पीछे एक नियोजित षड्यंत्र है । वास्तव में सरकार को सर्व धर्मियों को सुरक्षा देनी चाहिए; परंतु सरकार का एक विशिष्ट धर्म की ओर अधिक झुकाव है । यह धर्मनिरपेक्षता का लक्षण नहीं । आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा कब्जा किए गए 24,632 मंदिरों की रक्षा हेतु हिन्दू समाज को संगठित होकर ‘शैडो कैबिनेट’ की भांति प्रत्येक मंदिर में ‘शैडो’ न्यास (ट्रस्ट) स्थापित कर संघर्ष करना चाहिए । वास्तव में धर्मनिरपेक्ष सरकार को हिन्दूओं के मंदिर हडपने का कोई अधिकार नहीं। यदि सरकार को हिन्दुओं के मंदिर चाहिए, तो वह सर्वप्रथम इस देश को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करे, फिर मंदिरों का कामकाज देखे ऐसा स्पष्ट मत भारतीय पुलिस सेवा के भूतपूर्व अधिकारी तथा ‘सीबीआई’ के भूतपूर्व प्रभारी संचालक श्री. एम. नागेश्वर राव ने इस समय व्यक्त की ।
वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ इस कार्यक्रम में ‘आंध्र प्रदेश के मंदिरों पर आघातों का षड्यंत्र ?’ इस विषय पर हुए विशेष परिसंवाद में बोल रहे थे । फेसबूक और यू-ट्यूब के माध्यम से 44,496 लोगों ने यह कार्यक्रम देखा ।
इस समय तेलंगाना की प्रज्ञा भारती के राज्य उपाध्यक्ष श्री. गिरिधर ममिडी ने कहा, गोवा में जब पुर्तगालियों का शासन था, उस समय सेंट जेवियर कहते थे, ‘जब छोटे बच्चे घर में माता-पिता द्वारा पूजित मूर्तियां फोड दी, ऐसा बताते हैं; तब मुझे बहुत आनंद होता है ।’ इस विचारधारा के लोग इस मूर्तिभंजन का कारण हैं । राज्य सरकार यदि ये घटनाएं नहीं रोकती, तो केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे तथा हिन्दू भी इस विषय में पूरे देश में जनजागृति करें । तेलंगाना की राष्ट्रीय शिवाजी सेना के अध्यक्ष श्री. श्रीनिवास चारि ने कहा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा मूर्तिभंजन रोकने का आश्वासन देने के बाद भी 4 स्थानों पर मूर्तिभंजन हुआ है । इसलिए हमारा सरकार पर विश्वास नहीं रह गया है ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने कहा, आंध्र प्रदेश में सरकार मंदिरों से करोडों रुपए लेती है, तो फिर मंदिरों को सुरक्षा क्यों नहीं देती ? दो सौ से अधिक मंदिरों में एक ही प्रकार से आघात होते हैं , तब ‘यह हिन्दुओं की श्रद्धा का हनन करने का सुनियोजित षड्यंत्र आहे’, यह सरकार को क्यों समझ नहीं आता ? पहले गोवा में भी इसी प्रकार से अनेक मंदिरों में मूर्तिभंजन हुआ था । कर्नाटक में ५-६ चर्च पर केवल पथराव होने पर भारत के चर्च संकट में है, ऐसा प्रचार कर इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया गया; परंतु सैकडों मंदिरों पर आक्रमण होने पर भी इस ओर गंभीरता नहीं है ! इसलिए अब हिन्दुओं को ही इस विषय में आवाज उठाकर सरकार को कुछ करने के लिए बाध्य करना चाहिए ।
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