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कब और कैसे करें इन शारदीय नवरात्रि में कन्या पुजन: पढ़िये पूरी विधि बस एक क्लिक में

शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्र के दिनों में हर दिन 1, 3, 5, 9, 11 विषम संख्या में अपनी क्षमता के अनुसार कन्या का पूजन करना चाहिए। अगर हर दिन संभव ना हो तो अष्टमी, नवमी को भी कन्या पूजन कर सकते हैं। लेकिन इस समय सभी व्रतियों के लिए समस्या है कि वह कैसे अपने घर कन्या को आमंत्रित करे। इस कठिन समय में आप घर के बाहर से कन्या को आमंत्रित किए बिना कैसा कन्या पूजन कर सकते हैं । इस नवरात्र में जब आप घर के बाहर से कन्‍याओं को अपने घर में आमंत्रित नही कर सकते हैं तो ऐसे में आप कन्या पूजन के लिए अपने घर की बेटी, भतीजी और अन्य कन्याओं को भोजन करवाकर उनका पूजन करें। लेकिन पूजन से पहले आप हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें कि नवरात्र में कन्या पूजन के लिए मैं अपनी पुत्री को देवी मानकर उनका पूजन करता या करती हूं। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के मतानुसार कन्या को मीठा भोजन कराएं और जो भी दान देना हो उन्हें देवी भाव से ही भेंट करें। उस भेंट पर आप अपना अधिकार ना दिखाएं। नवरात्र के दौरान कन्या का अपमान ना करें। दुर्गा अष्टमी पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का मां का रुप मानकर पूजन किया जाता है। इसके साथ ही महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा के बाद हवन किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर लोग अपनी कुल देवी की पूजा भी करते हैं। लेकिन इस समय पूरा देश कोरोना के बढते प्रकोप को रोकने के लिए घर की लक्ष्मण रेखा के अंदर है। यदि आपके घर में छोटी कन्या ना हो तो घर के मंदिर में माता की पूजा करके उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाएं और माता को भेंट सामग्री अर्पित करें। प्रसाद का कुछ हिस्सा माता का ध्यान करते हुए गाय को खिला दें। माता के प्रसाद को सभी लोगों को ग्रहण करना चाहिए। कन्या पूजन में प्रसाद स्वरूप सूखे नारियल, मखाना, मूंगफली, मिसरी भेंट कर सकते हैं।ये प्रसाद लंबे समय तक टिकते हैं। स्थिति सामान्य होने के बाद इन्हें किसी कन्या को अथवा माता के मंदिर में भेंट कर सकते हैं। इस वर्ष की इन शारदीय नवरात्रि में ना तो कोई नवरात्र का पूजा पंडाल सजा है ना मंदिर के कपाट खुले हैं ऐसे में खोंचा देने के लिए आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं है। इस तरह दे सकते हैं खोंचा??? नवरात्र में देवी को खोंचा देने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे सौभाग्य और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। इस नवरात्र ना पूजा पंडाल सजा है ना मंदिर के कपाट खुले हैं ऐसे में खोंचा देने के लिए आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता को खोंचा भरने के लिए किसी मंदिर में जाना ही जरूरी नहीं है। नवरात्र के दिनों में माता सभी के घरों में कन्या रूप में और उनकी जितनी भी मूर्तियां हैं उनमें निवास करती हैं। इसलिए घर में माता की मूर्ति और तस्वीर के सामने एक लाल वस्त्र में चावल, सिंदूर, हल्दी का टुकड़ा, चूड़ियां, बिंदी, काजल, महावर और कुछ पैसे रखकर माता के सामने रखें और उनसे सौभाग्य वृद्धि की प्रार्थना करें। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि नवरात्र के बाद इस खोंचा की सामग्री की किसी सुहागन स्त्री को भेंट कर दें अथवा स्वयं भी प्रयोग करें। आप चाहें तो चावल की जगह जीरा का भी प्रयोग कर सकते हैं। नवरात्र के आखिरी दो द‍िनों में कन्या पूजन का व‍िशेष महत्‍व है. अष्टमी और नवमी के दिन कन्‍या पूजन या कंजक पूजा बेहद शुभ माना जाता है। नवरात्रि के दौरान पूजी जाने वाली इन कन्‍याओं को दुर्गा माता का ही अलग-अलग रूप माना जाता है. कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाने के साथ-साथ उन्हें भेंट देकर विदा किया जाता है. लेकिन इस बार आप पहले की तरह कन्‍या पूजन नहीं कर पाएंगे. वजह है कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए देश भर में लगाया गया लॉकडाउन द्वारा "आपके घर के सामने एक लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है. इस लक्ष्मण रेखा का हर हाल में पालन हम सभी को करना है." यानी कि आप और हमेशा की तरह इस नवरात्रि में कन्‍या पूजन के लिए कन्‍याओं को घर पर नहीं बुला सकते तो क्‍या इस बार हमें कन्‍या पूजन नहीं करना चाहिए? जवाब है यह हैं कि कन्‍या पूजन करेंगे लेकिन थोड़ा अलग तरीके से विधि-विधान संपन्‍न किया जाएगा। जानिए कैसे--- 👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻 कन्‍या पूजन कब है? इस शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन दिन नवमी का त्‍योहार भी है. आप अपनी सुविधानुसार अष्‍टमी या नवमी में से कोई भी एक दिन चुन सकते हैं। 👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻 जानिए कैसे करें वर्तमान परिस्थितियों में (लॉकडाउन) के दौरान कन्‍या पूजन --- - ध्‍यान रहे कि कन्‍या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए. - अष्‍टमी के दिन कन्‍या पूजन के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें. - अगर नवमी के दिन कन्‍या पूजन कर रहे हैं तो भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा करें. - वर्तमान परिस्थितियों में लॉकडाउन के चलते कन्‍याओं को घर पर नहीं बुलाया जा सकता। ऐसे में आप अपनी बेटी या घर में मौजूद भतीजी की पूजा कर सकते हैं. ध्‍यान रहे कि कन्‍या की आयु 10 वर्ष से ऊपर नहीं होनी चाहिए. - अगर आपके घर में कोई बालक है तो कन्‍या पूजन में उसे भी बैठाएं. दरअसल, बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है. मान्‍यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है. कहा जाता है कि अगर किसी शक्‍ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं। - घर की बेटी या भतीजी को आसन पर बैठाने से पहले जय माता दी का जयकारा लगाएं. - अब कन्‍या को बैठने के लिए आसन दें। - अब उनके पैर धोएं. - अब उन्‍हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. - इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें. - अब उन्‍हें घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती उतारें. - आरती के बाद खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दें. - भोजन के बाद उन्‍हें यथाशक्ति भेंट और उपहार दें. - इसके बाद उनके पैर छूएं. 👉🏻👉🏻👉🏻 जब घर में न हो बेटी तो ऐसे करें कन्‍या पूजन-- दुर्गा अष्टमी पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का मां का रुप मानकर पूजन किया जाता है। इसके साथ ही महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा के बाद हवन किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर लोग अपनी कुल देवी की पूजा भी करते हैं। लेकिन इस समय पूरा देश कोरोना के बढते प्रकोप को रोकने के लिए घर की लक्ष्मण रेखा के अंदर है। ज्योतिषाचार्य पंडी8 दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यदि आपके घर में बेटी या भतीजी नहीं है तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है. अष्‍टमी या नवमी में से जिस भी दिन आप कन्‍या पूजन करना चाहते हैं उस दिन इस तरह आप विधि-विधान पूरा कर सकते हैं: - कन्‍या पूजन के दिन सुबह-सवेरे उठकर घर की साफ-सफाई करें. - अब स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. - इसके बाद भोग तैयार करें. शगुन के लिए हल्‍वा, पूरी और चने बनाएं. ध्‍यान रहे इस भोग की मात्रा उतनी ही रखें जितना क‍ि परिवार के सदस्‍य ग्रहण कर सकते हों. - माता रानी के लिए ऐसा प्रसाद भी तैयार करें जिसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके. जैसे कि मेवे, मखाने, शक्‍करपारे आदि. - अब घर के मंदिर में ही माता रानी की विधिवत पूजा करें. - माता रानी की आरती उतारें और भोग लगाएं. - अब सूखे भोग के 10 अलग-अलग पैकेट (9 पैकेट कन्‍याओं के और 1 बटुक भैरव रूपी बालक के लिए) बनाकर रख लें. - इन पैकेट के साथ यथाशक्ति भेंट भी रखें. - अब घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद बांट कर व्रत का पारण करें. - बाद में जब लॉकडाउन खत्‍म हो जाएगा और स्थिति सामान्‍य हो जाएगी तब आप इन पैकेट्स को कन्‍याओं में बांट सकते हैं। अपने निकट की अवैध बस्ती में नो कन्याओं के लिए कच्ची राशन सामग्री उपलब्ध करा रहा हूं जिससे उनके परिवार का कुछ गुजर बसर हो सके। जिसमे आटा, तेल, दाल, मसाले एवम अन्य भोजनोपयोगी सामग्री हो। इस बार कच्ची बस्ती में बच्चियों को भोजन पैकेट ओर जरूरत के समान भी उपलब्ध करवा सकती हैं। पूजन के दौरान जो धनराशि कन्याओं को भेंट की जाती है वो इस बार बस्तियों की बच्चियों को देगें। इन सभी के अतिरिक्त यदि आप चाहे, हिम्मत करें/कोशिश करें तो पण्डित दयानंद शास्त्री जी ने बताया कि नवरात्र में कुल देवी देवताओं के स्थान पर अगर आप नही जा पा रहे है तो आप घर पर ही पूजन के लिए आम, पान, केले आदि के पत्ते पर नौ सुपारी ,9 पताशे, गुड़ की डली रख कर पूजन करें। 9 फूल ले या फूल की जगह अक्षत का उपयोग करें ओर आह्वान करें। भोग लगा कर आरती करें। इस तरह सामान्य रूप से कुल देवी देवताओं की आराधना की जा सकती है ,इसमें किसी तरह का दोष नहीं है। ये सांकेतिक पूजा होती है। जानिए क्या हैं नियम कायदे "नवरात्रि में कन्या पूजन के ??? भारतीय शास्त्रों में नौ दिनों तक निर्वहन की जाने वाली परंपराओं का बड़ा महत्व बताया गया है। इन नौ दिनों में कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जिन्हें हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमें सिखाया है। उनका आज भी हम पालन कर रहे हैं। हर कोई चाहता है कि देवी की पूजा पूरी श्रद्धा-भक्ति से हो ताकि परिवार में सुख-शांति बनी रहे। आइए जानते हैं, माता के नौ दिनों में क्या करें, क्या न करें :- क्या करना चाहिए :- * जवारे रखना। * प्रतिदिन मंदिर जाना। * देवी को जल अर्पित करना। * नंगे पैर रहना। * नौ दिनों तक व्रत रखना। * नौ दिनों तक देवी का विशेष श्रृंगार करना। * अष्टमी-नवमीं पर विशेष पूजा करना। * कन्या भोजन कराना। * माता की अखंड ज्योति जलाना। क्या नहीं करें :- - नवरात्रि में बाल या दाढ़ी-मूंछ नहीं कटवानी चाहिए. आप यदि बाल कटवाना चाहते हैं तो नवरात्रि से पहले या नवरात्रि के बाद ही कटवाएं. नवरात्रि में नाखून काटने की भी मनाही है. - नवरात्रि के दिनों में किसी भी नकारात्मक या बुरे विचार से खुद को दूर रखना चाहिए. - नौ दिन का व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए. व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. - नवरात्रि के 9 दिनों में व्रत रखने वाले लोगों को पलंग या कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए. दिन में नहीं सोना चाहिए और रात में माता की चौकी के पास बिस्तर लगाकर सोना चाहिए. * दाढ़ी, नाखून व बाल काटना नौ दिन बंद रखें। * छौंक या बघार नहीं लगाएं। * लहसुन-प्याज का भोजन ना बनाएं।

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