ग्वालियर (मध्यप्रदेश) - अभी के कोरोना महामारी के कारण पढाई, नौकरी को लेकर युवाओंके मन में भविष्य की चिंता होना स्वाभाविक है । तनाव के कारण शारीरिक रोगोेंके साथ हमारे पढाई और दिनचर्या पर भी परिणाम होता है । फिर युवा निराश होकर किसी व्यसन का सहारा लेते दिखाई देते है । ऐसे विपरीत चक्र से बाहर निकलने के लिए युवा स्वसूचना एवं अध्यात्म का आधार ले । स्वसूचना से मन सकारात्मक बनकर हम तनाव मुक्त रह सकते हैं । अध्यात्म मन को सकारात्मक रहना सीखाता है । साथ ही अध्यात्म हमें आनंदमय जीवन जीना सीखाता है, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गगुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे जी ने किया ।यहां के आई.टी.एम. महाविद्यालयद्वारा आयोजित ‘तनाव मुक्ति एवं संतुलित जीवन का रहस्य’ इस विषयपर वे विद्यार्थीयोंको संबोधित कर रहे थे । इस व्याख्यान का १७० विद्यार्थीयोंने लाभ लिया । उद्बबोधन के पश्चात विद्यार्थी एवं शिक्षकोंने भी अपनी शंकाओंका समाधान प्राप्त किया । अध्यात्म के द्वारा विद्यार्थी उजागर करें अपनी योग्यता !
सुनामी या भूकंप जैसे आपदा के समय प्राणीयोंको पहले ही सूचना कैसे मिल जाती है ? जो प्राणीयोंको ध्यान में आता है, वह विज्ञान और मनुष्य क्यों नहीं आता ? नॉस्ट्रडॅमस के पास ऐसा क्या था कि उसने आगे का देखकर भविष्य लिखकर रखा । इसका उत्तर केवल अध्यात्मशास्त्र दे सकता है । साधनाद्वारा हम भी हमारा छठा इंद्रिय जागृत कर सकते है । विज्ञान के साथ तुलना नही हो रही, इसलिए अध्यात्मशास्त्र को नकारना गलत है । हमें यह ध्यान में लेना चाहिए की, पूर्व में अध्यात्म था पर विज्ञान नही था, वर्तमान में अध्यात्म को विज्ञान के धरातलपर सभी के सामने रखने की आवश्यकता है । इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना प्रमुख तथा महाविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनीयरिंग विभाग के सहायक प्रा. नरेंद्र कुमार वर्मा जी ने किया और कंपनी सेक्रेटरी विभाग की प्रोफेसर श्रीमति अर्चना तोमर इन्होंने कार्यक्रम का संचालन किया । सूत्रसंचालन छात्रा कु. अनुष्का राजपूत इन्होंने किया । कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाविद्यालय की छात्रा कु. नीति खांडेकर जी इन्होंने समन्वय किया । श्री. वर्मा जी ने कहा की, तनाव हमेें बडी मात्रा में प्रभावित करता है । विद्यार्थी तनाव के स्थिती में डगमगा जाते हैं । अध्यात्म में सीखने का भाग रहा तो हम सकारात्मक स्थिती में रह सकते हैं । हम बहुत कुछ सीखना चाहते है । हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी कि आप नियमित ऐसे कार्यक्रम हमारे विद्यालय में कर बच्चों को सही दिशा में जाने के लिये प्रेरित करें ।
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